Ipc धारा २१८ : किसी व्यक्ती को लोक सेवक द्वारा दण्ड से या किसी सम्पत्ति को समपहरण से बचाने के आशय से विधि के निदेश की अवज्ञा :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा २१८ :
किसी व्यक्ती को लोक सेवक द्वारा दण्ड से या किसी सम्पत्ति को समपहरण से बचाने के आशय से विधि के निदेश की अवज्ञा :
(See section 256 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : किसी व्यक्ति को दंड से या किसी सम्पत्ति को समपहरण से बचाने के आशय से लोक सेवक द्वारा अशुद्ध अभिलेख या लेख की रचना ।
दण्ड :तीन वर्ष के लिए कारावास या जर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
———
जो कोई लोक सेवक होते हुए और ऐसे लोक सेवक के नाते कोई अभिलेख या अन्य लेख तैयार करने का भार रखते हुए, उस अभिलेख या लेख की इस प्रकार से रचना, जिसे वह जानता है कि अशुद्ध है लोक को या किसी व्यक्ती को हानी या क्षति कारित करने के आशय से या संभाव्यत: तद्द्वारा करेगा यह जानते हुए करेगा, अथवा किसी व्यक्ती को वैध दण्ड से बचाने के आशय से या संभाव्यत: तद्द्वारा बचाएगा यह जानते हुए करेगा, अथवा किसी सम्पत्ति के ऐसे समपहरण या अन्य भार से, जिसके दायित्व के अधीन वह सम्पत्ति विधि के अनुसारा है, बचाने के आशय से या संभाव्यत: तद्द्वारा बचाएगा यह जानते हुए करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।

Leave a Reply