भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा १९५ क :
किसी व्यक्ती को मिथ्या साक्ष्य देने के लिए धमकाना :
(See section 232 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : किसी व्यक्ति को मिथ्या साक्ष्य देने के लिए धमकाना ।
दण्ड :सात वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :वह न्यायालय जिसके द्वारा मिथ्या साक्ष्य देने का अपराध विचारणीय है ।
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अपराध : यदि निर्दोष व्यक्ति को मिथ्या साक्ष्य के परिणामस्वरुप दोषसिद्ध किया जाता है और मृत्यु या सात वर्ष से अधिक के कारावास से दंडादिष्ट किया जाता है ।
दण्ड :वही जो उस अपराध के लिए है ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :वह न्यायालय जिसके द्वारा मिथ्या साक्ष्य देने का अपराध विचारणीय है ।
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जो कोई, किसी दुसरे व्यक्ती को, उसके शरीर, ख्याति, संपत्ति को अथवा ऐसे व्यक्ती के शरीर या ख्याति को, जिसमें वह व्यक्ति हितबद्ध है, वह व्यक्ती मिथ्या साक्ष्य दे यह कारित करने के आशय से कोई क्षति करने की धमकी देता है, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा;
और यदि कोई निर्दोष व्यक्ती ऐसे मिथ्या साक्ष्य के परिणाम स्वरुप मृत्यु से या सात वर्ष से अधिक के कारावास से दोषसिद्ध और दण्डादिष्ट किया जाता है तो ऐसा व्यक्ती, जो धमकी देता है, उसी दण्ड से दण्डित किया जाएगा और उसी रीती में और उसी सीमा तक दंडादिष्ट किया जाएगा जैसे निर्दोष व्यक्ति दण्डित और दण्डादिष्ट किया गया है ।
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१. २००६ के अधिनियम सं० २ की धारा ७ द्वारा अन्त:स्थापित (१६-०४-२००६ से) ।