भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा १८३ :
लोक सेवक के विधिपूर्ण प्राधिकार द्वारा संपत्ति ले लिए जाने का प्रतिरोध (विरोध / रोक) :
(See section 218 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : लोक सेवक के विधिपूर्ण प्राधिकार द्वारा सम्पत्ति लिए जाने का प्रतिरोध ।
दण्ड :छह मास के लिए कारावास, या एक हजार रुपए का जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
———-
जो कोई किसी लोक सेवक के विधिपूर्ण प्राधिकार द्वारा किसी संपत्ति के ले लिए जाने का प्रतिरोध यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए करेगा कि वह ऐसा लोक सेवक है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक हजार रुपये तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।