Ipc धारा ११६ : कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण, यदी अपराध नहीं किया जाता :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ११६ :
कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण, यदी अपराध नहीं किया जाता :
(See section 56 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : कारावास से दंडनीय अपराध का दुष्प्रेरण, यदि दुष्प्रेरण के परिणामस्वरुप अपराध नहीं किया जाता है ।
दण्ड :उस दीर्घतम अवधि के एक चौथाई भाग तक का कारावास, जो अपराध के लिए उपबंधित है, या जर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :इसके अनुसार कि दुप्रेरित अपराध संज्ञेय है या असंज्ञेय है ।
जमानतीय या अजमानतीय :इसके अनुसार कि दुष्प्रेरित अपराध जमानतीय है या अजमानतीय है ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :उस न्यायालय द्वारा दुष्प्रेरित अपराध विचारणीय है ।
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अपराध : यदि दुष्प्रेरक या दुष्प्रेरित व्यक्ति ऐसा लोक सेवक है जिसका कर्तव्य अपराध निवारित करना है ।
दण्ड :उस दीर्घतम अवधि के आधे भाग तक का कारावास, जो अपराध के लिए उपबंधित है, या जर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :इसके अनुसार कि दुप्रेरित अपराध संज्ञेय है या असंज्ञेय है ।
जमानतीय या अजमानतीय :इसके अनुसार कि दुष्प्रेरित अपराध जमानतीय है या अजमानतीय है ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :उस न्यायालय द्वारा दुष्प्रेरित अपराध विचारणीय है ।
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जो कोई कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण करेगा, यदि वह अपराध उस दुष्प्रेरण के परिणामस्वरुप न किया जाए और ऐसे दुष्प्रेरण के दण्ड के लिए कोई अभिव्यक्त उपबंध इस संहिता में नही किया गया है ; तो वह उस अपराध के लिए उपबंधित किसी भांति के कारावास से ऐसी अवधि के लिए, जो उस अपराध के लिए उपबंधित दीर्घतम अवधि के एक-चौथाई भाग तक की हो सकेगी, या ऐसे जुर्माने से, जो उस अपराध के लिए उपबंधित है, या दोनों से दण्डित किया जाएगा;
यदि दुष्प्रेरक या दुष्प्रेरित व्यक्ति ऐसा लोकसेवक है, जिसका कर्तव्य अपराध को निवारित करना हो :
और यदि दुष्प्रेरक या दुष्प्रेरीत व्यक्ती ऐसा लोकसेवक हो, जिसका कर्तव्य ऐसे अपराध के किए जाने का निवारन करना हो, तो वह दुष्प्रेरक उस अपराध के लिए उपबंधित किसी भांति के कारावास से ऐसी अवधि के लिए जो उस अपराध के लिए उपबंधित दीर्घतम अवधि के आधे भाग तक की हो सकेगी या ऐसे जुर्माने से, जो उस अपराध के लिए उपबंधित है, या दोनों से दण्डित किया जाएगा ।
दृष्टांत :
क) (ख) को, जो एक लोक सेवक है, (ख) के पदीय कृत्यों के प्रयोग में (क) अपने प्रति कुछ अनुग्रह दिखाने के लिए इनाम के रुप में रिश्वत की प्रस्थापना करता है । (ख) उस रिश्वत को प्रतिगृहीत करने से इन्कार कर देता है । (क) इस धारा के अधीन दण्डनीय है ।
ख) मिथ्या साक्ष्य देने के लिए (ख) को (क) उकसाता है । यहां, यदि (ख) मिथ्या साक्ष्य न दे, तो भी (क) ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है, और वह तद्नुसार दण्डनीय है ।
ग) (क), एक पुलिस आफिसर, जिसका कर्तव्य लूट को निवारित करना है, लूट किए जाने का दुष्प्रेरण करना है । यहां, यद्यपि वह लूट नहीं की जाती, (क) उस अपराध के लिए उपबन्धित कारावास की दीर्घतम अवधि के आधे से, और जुर्माने से भी, दण्डनीय है ।
घ) (क) द्वारा, जो एक पुलिस आफिसर है, और जिसका कर्तव्य लूट को निवारित करता है, उस अपराध के किए जाने का दुष्प्रेरण (ख) करता है, यहां यद्यपि वह लूट ने की जाए, (ख) लूट के अपराध के लिए उपबन्धित कारावास की दीर्घतम अवधि के आधे से, और जुर्माने से भी, दण्डनीय है ।

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