भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ११३ :
दुष्प्रेरित कार्य कारित उस प्रभाव के लिए दुष्प्रेरक का दायित्व जो दुष्प्रेरक द्वारा आशयित से भिन्न हो :
(See section 53 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : दुष्प्रेरित कार्य कारित उस प्रभाव के लिए दुष्प्रेरक का दायित्व जो दुष्प्रेरक द्वारा आशयित से भिन्न हो ।
दण्ड : वही दण्ड जो किए गए अपराध के लिए है ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : इसके अनुसार कि दुष्प्रेरित अपराध संज्ञेय है या असंज्ञेय है ।
जमानतीय या अजमानतीय : इसके अनुसार कि दुष्प्रेरित अपराध जमानतीय है या अजमानतीय है ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : उस न्यायालय द्वारा दुष्प्रेरित अपराध विचारणीय है ।
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जब कि दुष्प्रेरक द्वारा कार्य का दुष्प्रेरण किसी विशिष्ट प्रभाव को कारित करने के आशय से किया जाता है और दुष्प्रेरण के परिणामस्वरुप जिस कार्य के लिए दुष्प्रेरक दायित्व के अधीन है, वह कार्य दुष्प्रेरक के द्वारा आशयित प्रभाव से भिन्न प्रभाव कारित करता है तब दुष्प्रेरक कारित प्रभाव के लिए उसी प्रकार और उसी विस्तार तक दायित्व के अधीन है, मानो उसने उस कार्य का दुष्प्रेरण उसी प्रभाव को कारित करने के आशय से किया हो परन्तु यह तब जबकि यह जानता था कि दुष्प्रेरित कार्य से यह प्रभाव कारित होना संभाव्य है ।
दृष्टांत :
(य) को घोर उपहति करने के लिए (ख) को (क) उकसाता है । (ख) उस उकसाहट के परिणामस्वरुप (य) को घोर उपहति कारित करता है । परिणामत: (य) की मृत्यु हो जाती है । यहां यदि (क) यह जानता था कि दुष्प्रेरित घोर उपहति से मृत्यु कारित होना सम्भाव्य है, तो (क) हत्या के लिए उपबन्धित दण्ड से दण्डनीय है ।