भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ११२ :
दुष्प्रेरित कार्य के लिए और किए गए कार्य के लिए आकलित दण्ड से दुष्प्रेरक कब दण्डनीय है :
(See section 52 of BNS 2023)
यदि कोई या वह कार्य, जिसके लिए दुष्प्रेरक अंतिम पूर्ववर्ती धारा के अनुसार दायित्त्व के अधीन है, दुष्प्रेरित कार्य अतिरिक्त किया जाता है और वह कोई सुभिन्न अपराध गठित करता है, तो दुष्प्रेरक उन अपराधों में से हर एक के लिए दण्डनीय है ।
दृष्टांत :
(ख) को एक लोक सेवक द्वारा किए गए करस्थम् (संकट) का बलपूर्वक प्रतिरोध करने के लिए (क) उकसाता है । (ख) परिणामस्वरुप उस करस्थम (संकट) का प्रतिरोध करता है । प्रतिरोध करने में (ख) करस्थम (संकट) का निष्पादन करने वाले आफिसर को स्वेच्छया घोर कारित करता है । (ख) ने करस्थम (संकट) का प्रतिरोध करने और स्वेच्छया घोर उपहति कारित करने के दो अपराध किए है । इसलिए (ख) दोनों अपराधों के लिए दण्डनीय है, और यदि (क) यह सम्भाव्य जानता था कि उस करस्थम् (संकट) का प्रतिरोध करने में (ख) स्वेच्छया घोर उपहति कारित करेगा, तो (क) भी उनमें से हर एक अपराध के लिए दण्डनीय होगा ।