धारा १४क : १.(निर्बन्धित क्षेत्रों, आदि में प्रवेश के लिए शास्ति :

विदेशियों विषयक अधिनियम १९४६
धारा १४क :
१.(निर्बन्धित क्षेत्रों, आदि में प्रवेश के लिए शास्ति :
जो कोई-
(a)क) भारत के किसी ऐसे क्षेत्र में, जो इस अधिनियम के अधीन किए गए किसी आदेश या उसके अनुसरण में दिए गए किसी निदेश के अधीन उसके प्रवेश के लिए निर्बन्धित है, केन्द्रीय सरकार द्वारा इस प्रयोजन के लिए राजपत्र में अधिसूचित प्राधिकारी की अनुज्ञा प्राप्त किए बिना प्रवेश करता है या ऐसे अनुज्ञापत्र में उसके ठहरने के लिए विनिर्दिष्ट अवधि से परे ऐसे क्षेत्र में रहता है; या
(b)ख) भारत के किसी क्षेत्र में, इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन किए गए किसी आदेश या उसके अनुसरण में दिए गए किसी निदेश के अधीन, यथास्थिति, ऐसे प्रवेश या ऐसे ठहरने के लिए अपेक्षित विधिमान्य दस्तावेजों के बिना प्रवेश करता है या ठहरता है,
तो वह कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु आठ वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुमनि का भी, जो दस हजार रुपए से कम नहीं होगा, किन्तु पचास हजार रुपए तक का हो सकेगा, दायी होगा और यदि ऐसे व्यक्ति ने धारा ३ की उपधारा (२) के खंड (च) के अनुसरण में बंधपत्र दिया है तो उसका बंधपत्र समपहृत कर लिया जाएगा और तद्वारा आबद्ध कोई व्यक्ति उसके लिए शास्ति का संदाय करेगा या दोषसिद्ध करने वाले न्यायालय के समाधानपर्यन्त हेतुक दर्शित करेगा कि उसके द्वारा ऐसी शास्ति का संदाय क्यों न किया जाए।)
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१. २००४ के अधिनियम सं० १६ की धारा २ द्वारा धारा १४ प्रतिस्थापित।

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