स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम १९८५
धारा ७६ :
नियम बनाने की केन्द्रीय सरकार की शक्ति :
१) इस अधिनियम के अन्य उपबंन्धों के अधीन रहते हुए केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए नियम राजपत्र में अधिसूचना द्वारा बना सकेगी ।
२) पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियम निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिए उपबन्ध कर सकेंगे, अर्थात् :-
क) वह पद्धति, जिसके द्वारा धारा २ के खण्ड (पांच), खण्ड (चार), खण्ड (चौदह) और खण्ड (पन्द्रह) के प्रयाजनों के लिए द्रव निर्मितियों की दशा में प्रतिशतताओं का परिकलन किया जाएगा ;
ख) उस बन्धपत्र का प्ररुप, जो परिशान्ति बनाए रखने के लिए धारा ३४ के अधीन निष्पादित किया जाएगा ;
ग) उस बन्धपत्र का प्ररुप, जो धारा ३९ की उपधारा (१) के अधीन चिकित्सीय उपचार के लिए सिद्धदोष किसी व्यसनी व्यक्ति की निर्मुक्ति के लिए निष्पादित किया जाएगा और वह बन्धपत्र, जो उस धारा की उपधारा (२) के अधीन सम्यक् भत्र्सना के पश्चात् ऐसे सिद्धदोष व्यक्ति द्वारा अपनी निर्मुक्ति के पूर्व निष्पादित किया जाएगा ;
१.(गक) वह रीति, जिसमें धारा ५०-क के अधीन नियंत्रित परिदान का जिम्मा लिया जाएगा 😉
घ) वह प्राधिकारी या व्यक्ति जिसके द्वारा और वह रीति जिससे भारत से बाहर किसी स्थान से प्राप्त दस्तावेज धारा ६६ के खण्ड (दो) के अधीन अधिप्रमाणित की जाएगी;
२.(घक) वह रीति जिससे और वे शर्ते जिसने अधीन धारा ६८-छ की उपधारा (२) के अधीन प्रशासक द्वारा सम्पत्तियों का प्रबंध किया जाएगा ;
घख) धारा ६९-ढ की उपधारा (३) के अधीन अपील अधिकरण के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की सेवा के निबंधन और शर्तें;
घग) वे फीसें जिनका संदाय धारा ६८-ण की उपधारा (६) के अधीन अपील अधिकरण के अभिलेखों और रजिस्टरों के निरीक्षण के लिए या उनके किसी भाग की प्रमाणित प्रतिलिपि प्राप्त करने के िलए किया जाएगा ;
घघ) सिविल न्यायालय की शक्तियां जिनका प्रयोग धारा ६८-द के खंड (च) के अधीन सक्षम प्राधिकारी और अपील अधिकरण द्वारा किया जा सकेगा ;
घङ) इस अधिनियम के अधीन अधिकृत सभी वस्तुओं या चीजों का निपटारा;
घच) नमूने लेना और ऐसे नमूनों का परीक्षण औ विश्लेषण करर्ना
घछ) अधिकारियों, भेदियों और अन्य व्यक्तियों को संदत्त किए जाने वाले पुरस्कार 😉
ङ) वे शर्तें जिनमें और वह रीति जिससे धारा ७३ की उपधारा (१) के अधीन केन्द्रीय सरकार के पास रजिस्ट्रीकृत व्यसनियों और अन्य व्यक्तियों को चिकित्सीय आवश्यकता के लिए स्वापक ओषधियों औ मन:प्रभावी पदार्थो का प्रदाय किया जा सकेगा ;
च) धारा ७१ की उपधारा (१) के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा स्थापित केन्द्रों की स्थापना, नियुक्ति, अनुरक्षण, प्रबन्ध और अधीक्षण तथा ऐसे केन्द्रों मे नियोजित व्यक्तियों की नियुक्ति, प्रशिक्षण, शक्तियां और कर्तव्य;
छ) धारा ६ की उपधारा (५) के अधीन स्वापक ओषधि और मन:प्रभावी पदार्थ सलाहकार समिति के अध्यक्ष और सदस्यों की पदावधि, आकस्मिक रिक्तियों को भरने की रीति और उनको संदेय भत्ते तथा वे शर्तें और निर्बन्धन, जिनके अधीन रहते हुए कोई गैर सदस्य किसी उपसमिति में नियुक्त किया जा सकेगा ;
ज) कोई अन्य विषय जो विहित किया जाता है या विहित किया जाए ।
————
१. २००१ के अधिनियम सं.९ की धारा ३९ द्वारा अंत:स्थापित ।
२. १९८९ के अधिनियम सं.२ की धारा २१ द्वारा अंत:स्थापित ।
