Ndps act धारा ३१ : १.(पूर्व दोषसिद्ध के पश्चात् अपराधों के लिए वर्धित दंड :

स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम १९८५
धारा ३१ :
१.(पूर्व दोषसिद्ध के पश्चात् अपराधों के लिए वर्धित दंड :
१) यदि कोई व्यक्ति, जिसको इस अधिनियम के अधीन दंडनीय कोई अपराध करने या करने का प्रयत्न करने या उसका दुष्प्रेरण करने या करने का आपराधिक षडयंत्र करने के लिए सिद्धदोष ठहराया गया है, तत्पश्चात् इस अधिनियम के अधीन उतने ही दंड से दंडनीय कोई अपराध करने या करने का प्रयत्न करने या उसका दुष्प्रेरण करने या करने का आपराधिक षडयंत्र करने लिए सिद्धदोष ठहराया जाता है तो वह, द्वितीय और प्रत्येक पश्चात्वर्ती अपराध के लिए कठोर कारावास से, जिसकी अवधि कारावास की २.(अधिकतम अवधि के डेढ गुणा तक) की हो सकेगी और जुर्माने से भी, जो जुर्माने की २.(अधिकतम रकम के डेढ गुणा तक) का हो सकेगा, दंडनीय होगा ।
२) जहां उपधारा (१) में निर्दिष्ट व्यक्ति कारावास की, न्यूनतम अवधि और जुर्माने की न्यूनतम रकम से दंडित किए जाने का भागी है, वहां ऐसे व्यक्ति के लिए न्यूनतम दंड, कारावास की २.( न्यूनतम अवधि का डेढ गुणा) और जुर्माने की २.(न्यूनतम रकम का डेढ गुणा) होगा :
परन्तु न्यायालय, ऐसे कारणों से, जो निर्णय में लेखबद्ध किए जाएंगे, उस जुर्माने से अधिक का जुर्माना अधिरोपित कर सकेगा जिसके लिए कोई व्यक्ति दायी है ।
३) जहां कोई व्यक्ति, तत्स्थानी किसी विधि के अधीन भारत से बाहर दांडिक अधिकारिता वाले किसी सक्षम न्यायालय द्वारा सिद्धदोष ठहराया जाता है वहां, ऐसे व्यक्ति से, ऐसी दोषसिद्धि की बाबत, उपधारा (१) और उपधारा (२) के प्रयोजनों के लिए, इस प्रकार बरता जाएगा मानो वह भारत में किसी न्यायालय द्वारा सिद्धदोष ठहराया गया हो ।)
———-
१.२००१ के अधिनियम सं. ९ की धारा १२ द्वारा प्रतिस्थापित ।
२.२०१४ के अधिनियम सं. १६ की धारा १४ द्वारा प्रतिस्थापित ।

Leave a Reply