खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम २००६
धारा ७३ :
मामलों का संक्षिप्त विचारण करने की न्यायालय की शक्ति :
दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (१९७४ का २) में किसी बात के होते हुए भी, ऐसे सभी अपराधों का, जो विशेष न्यायालय द्वारा विचारणीय नहीं हैं, प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट या मेटड्ढोपोलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा संक्षिप्त विचारण किया जाएगा और ऐसे विचारण को यथाशक्य, उक्त संहिता की धारा २६२ से धारा २६५ (इसमें दोनों धाराएं सम्मिलित हैं) के उपबंध लागू होंगे :
परन्तु इस धारा के अधीन किसी संक्षिप्त विचारण में किसी दोषसिद्धि की दशा में, किसी मजिस्ट्रेट के लिए एक वर्ष से अनधिक अवधि के कारावास का दंडादेश पारित करना विधिपूर्ण होगा:
परन्तु यह और कि जब इस धारा के अधीन किसी संक्षिप्त विचारण के प्रारम्भ पर या उसके दौरान मजिस्ट्रेट को यह प्रतीत होता है कि मामले की प्रकृति इस प्रकार की है कि उसमें एक वर्ष से अधिक अवधि के कारावास का दंडादेश पारित होना चाहिए या किसी अन्य कारण से मामले का संक्षिप्त विचारण अवांछनीय है, तो मजिस्ट्रेट, पक्षकारों की सुनवाई करने के पश्चात्, उस आशय का एक आदेश अभिलिखित करेगा और तत्पश्चात् ऐसे किसी साक्षी को बुलाएगा जिसकी परीक्षा की जानी चाहिए थी और उस मामले की उक्त संहिता द्वारा उपबंधित रीति में सुनवाई या पुनः सुनवाई करने के लिए कार्यवाही करेगा ।
