बालक श्रम अधिनियम १९८६
धारा ९ :
निरीक्षक को सूचना :
१) ऐसे स्थापन के संबंध में जिसमें कोई १.(कुमार) ऐसे स्थापन के संबंध में इस अधिनियम के प्रारम्भ की तारीख के ठीक पहले काम करने के लिए नियोजित था या काम करने के लिए अनुज्ञात किया गया था, प्रत्येक अधिष्ठाता ऐसे प्रारम्भ के तीस दिन की कालावधि के भीतर उस निरीक्षक को, जिसकी स्थानीय सीमाओं के भीतर स्थापन अवस्थित है, निम्नलिखित अन्तर्विष्ट करते हुए, लिखित सूचना भेजेगा, अर्थात् :-
(a)क) स्थापन का नाम और अवस्थिति;
(b)ख) स्थापन का वास्तव में प्रबन्ध करने वाले व्यक्ति का नाम;
(c)ग) वह पता जिस पर स्थापन से संबंधित संसूचनाएं भेजी जानी चाहिएं, और
(d)घ) उपजीविका की प्रकृति या स्थापन में की जाने वाली प्रक्रिया ।
२) किसी स्थापन के संबंध में, ऐसा प्रत्येक अधिष्ठाता जो ऐसे स्थापन के संबंध में इस अधिनियम के प्रारम्भ की तारीख के पश्चात् किसी १.(कुमार) को काम करने के लिए नियोजित या अनुज्ञात करता है ऐसे नियोजन की तारीख से तीस दिन की कालावधि के भीतर उस निरीक्षक को, जिसकी स्थानीय सीमाओं के भीतर स्थापन अवस्थित है, उपधारा (१) में वर्णित विशिष्टियां अन्तर्विष्ट करते हुए लिखित सूचना भेजेगा ।
स्पष्टीकरण :
उपधारा (१) और उपधारा (२) के प्रयोजनों के लिए किसी स्थापन के संबंध में इस अधिनियम के प्रारम्भ की तारीख से ऐसे स्थापन के संबंध में इस अधिनियम को प्रवृत्त करने की तारीख अभिप्रेत है ।
३) धारा ७, धारा ८ और धारा ९ की कोइ बात, किसी ऐसे स्थापन को जिसमें अधिष्ठाता द्वारा कोई प्रक्रिया अपने कुटुम्ब की सहायता से की जाती है या सरकार द्वारा स्थापित या उससे सहायता या मान्यताप्राप्त करने वाले किसी विद्यालय को लागू नहीं होगी ।
——-
१. २०१६ के अधिनियम सं० ३५ की धारा १३ द्वारा बालक शब्द के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
