पासपोर्ट अधिनियम १९६७
धारा ११ :
अपीलें :
(१) धारा ५ की उपधारा (२) के खंड (ख) या खंड (ग) अथवा धारा ७ के परन्तुक के खंड (ख) अथवा धारा १० की उपधारा (१) या उपधारा (३) के अधीन पासपोर्ट प्राधिकारी के आदेश से या धारा १० की उपधारा (६) के अधीन उस प्राधिकारी के आदेश से, जिसके अधीनस्थ पासपोर्ट प्राधिकारी हो, व्यथित कोई भी व्यक्ति, उस आदेश के विरुद्ध अपील उस प्राधिकारी से (जिसे इसमें इसके पश्चात अपील प्राधिकारी कहा गया है) उस कालावधि के भीतर, जिसे विहित किया जाए, कर सकेगा:
परन्तु केन्द्रीय सरकार द्वारा किए गए किसी भी आदेश के विरुद्ध कोई अपील न होगी।
(२) कोई भी अपील, यदि वह उसके लिए विहित कालावधि के अवसान के पश्चात की जाए तो, ग्रहण नहीं की जाएगी :
परन्तु यदि अपीलार्थी अपील प्राधिकारी का यह समाधान कर दे कि उस कालावधि के भीतर अपील न करने का उसके पास पर्याप्त कारण था तो अपील उसके लिए विहित कालावधि के अवसान के पश्चात ग्रहण की जा सकेगी।
(३) अपील के लिए विहित कालावधि की संगणना परिसीमा अधिनियम, १९६३ (१९६३ का ३६) के उन उपबंधों के अनुसार की जाएगी जो उसके अधीन परिसीमा कालावधियों की संगणना करने के बारे में है।
(४) इस धारा के अधीन प्रत्येक अपील लिखित अर्र्जी द्वारा की जाएगी और उसके साथ उस आदेश के, जिसके विरुद्ध अपील की गई हो, कारणों के कथन की एक प्रति, यदि ऐसी प्रति अपीलार्थी को दी गई हो तो और १.(ऐसी फीस जो ऐसे व्ययों की पूर्ति के लिए विहित की जाए, जो सुसंगत अभिलेख मंगाने पर और संबंधित सेवाओं पर उपगत किए जाएं।)
(५) अपील का निपटारा करने में अपील प्राधिकारी ऐसी प्रक्रिया का अनुसरण करेगा जो विहित की जाए :
परन्तु जब तक अपीलार्थी को अपने मामले का अभ्यावेदन करने का युक्तियुक्त अवसर न दे दिया हो जब तक किसी भी अपील का निपटारा नहीं किया जाएगा।
(६) जिस आदेश के विरुद्ध अपील की गई हो उसे पुष्ट करने, उपान्तरित करने या उलट देने का अपील प्राधिकारी का प्रत्येक आदेश अन्तिम होगा।
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१. १९९३ के अधिनियम सं० ३५ की धारा ५ द्वारा (१-७-१९९३ से) कुछ शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
