भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा २४९ :
अपराधी को संश्रय (आसरा) देना :
धारा : २४९ (क)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : अपराध को संश्रय देना, यदि अपराध मृत्यु से दंडनीय है ।
दण्ड : पांच वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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धारा : २४९ (ख)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : यदि आजीवन कारावास या दस वर्ष के लिए कारावास से दंडनीय है ।
दण्ड : तीन वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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धारा : २४९ (ग)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : यदि एक वर्ष के लिए, न कि दस वर्ष के लिए कारावास से दंडनीय है ।
दण्ड : उस दीर्घतम अवधि के एक चौथाई भाग का कारावास और उस भांति का कारावास, जो उस अपराध के लिए उपबंधित है, या जर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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जबकि कोई अपराध किया जा चुका हो, तब जो कोई किसी ऐसे व्यक्ती को, जिसके बारे में वह जानता हो या विश्वास करने का कारण रखता हो कि वह अपराधी है, वैध दण्ड से प्रतिच्छादित करने के आशय से संश्रय देगा या छिपाएगा,-
क) यदि वह अपराध मृत्यु से दण्डनीय हो तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ;
ख) यदि वह अपराध आजीवन कारावास से, या दस वर्ष तक के कारावास से दण्डनीय हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ;
ग) यदी वह अपराध एक वर्ष तक, न कि दस वर्ष तक के कारावास से दण्डनीय हो, तो वह उस अपराध के लिए उपबंधित भांति के कारावास से दण्डनीय होगा, जिसकी अवधि उस अपराध के लिए उपबंधित कारावास की दीर्घतम अवधि की एक चौथाई तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डनीय होगा ।
स्पष्टीकरण :
इस धारा में अपराध शब्द के अन्तर्गत भारत के बाहर किसी स्थान पर किया गया कोई भी ऐसा कार्य आता है, जो यदि भारत के भितर किया जाता तो या भारत में किया जाता तो निम्मलिखित धारा अर्थात् धारा १०३, १०५, ३०७, धारा ३०९ की उपधारा (२), उपधारा (३), उपधारा (४), धारा ३१० की उपधारा (२), उपधारा (३), उपधारा (४) और उपधारा (५), धारा ३११, ३१२, धारा ३२६ के खंड (च) और खंड (छ), धारा ३३१ की उपधारा (४), उपधारा (६), उपधारा (७) और उपधारा (८), धारा ३३२ के खंड (क) और खंड (ख) में किसी धारा के अधीन दण्डनीय होता और प्रत्येक एक ऐसा कार्य इस धारा के प्रयोजनों के लिए ऐसे दंडनीय समझा जाएगा, मानो अभियुक्त व्यक्ति उसे भारत में करने का दोषी था ।
अपवाद :
इस उपबंध का विस्तार किसी ऐसे मामले पर नहीं है, जिसमें अपराधी को संश्रय (आसरा) देना या छिपाना उसके पति या पत्नी द्वारा हो ।
दृष्टांत :
(क) यह जानते हुए कि (ख) ने डकैती की है, (ख) को वैध दंड से प्रतिच्छादित करने के लिए जानते हुए छिपा लेता है । यहां, (ख) आजीवन कारावास से दंडनीय है, (क) तीन वर्ष से अनधिक अवधि के लिए दोनों में से किसी भांति के कारावास से दंडनीय है और जुर्माने से भी दंडनीय है ।