किशोर न्याय अधिनियम २०१५
धारा ८५ :
नि:शक्त बालकों पर किए गए अपराध ।
जो कोई इस अध्याय में निर्दिष्ट अपराधों में से किसी अपराध को, किसी बालक पर, जिसे किसी चिकित्सा व्यवसायी द्वारा इस प्रकार नि:शक्त रुप में प्रमाणित किया गया है, करता है, वहां ऐसा व्यक्ति ऐसे अपराध के लिए उपबंधित दुगुनी शास्ति का दायी होगा ।
स्पष्टीकरण :
इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए, नि:शक्तता पद का वही अर्थ होगा जो नि:शक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, १९९५ (१९९६ का १) की धारा २ के खंड (झ) में उसका है ।