किशोर न्याय अधिनियम २०१५
धारा ७५ :
बालक के प्रति क्रूरता के लिए दंड ।
जो कोई बालक का वास्तविक भारसाधन या उस पर नियंत्रण रखते हुए उस बालक पर ऐसी रीति से, जिससे उस बालक को अनावश्यक मानसिक या शारीरिक कष्ट होना संभाव्य हो, हमला करेगा, उसका परित्याग करेगा, उत्पीडन करेगा, उसे उच्छन्न करेगा या जानबूझकर उसकी उपेक्षा करेगा या उस पर हमला किया जाना, उसका परित्याग, उत्पीडन, उच्छन्न या उसकी उपेक्षा किया जाना कारित करेगा या ऐसा किए जाने के लिए उसे उपाप्त करेगा, वह कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी या एक लाख रुपए के जुर्माने से या दोनों से दंडनीय होगा :
परन्तु यदि यह पाया जाता है कि जैविक माता-पिता द्वारा बालक का ऐसा परित्याग उनके नियंत्रण के परे की परिस्थितियों के कारण है, तो यह उपधारणा की जाएगी कि ऐसा परित्याग जानबूझकर नहीं है और ऐसे मामलों में इस धारा के दांडिक उपबंध लागू नहीं होंगे :
परन्तु यह और कि यदि ऐसा अपराध किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाता है, जो किसी संगठन द्वारा नियोजित है या उसका प्रबंधन कर रहा है, जिसे बालक की देखरेख और संरक्षण सौंपा गया है, वह कठिन कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से, जो पांच लाख रुपए तक हो सकेगा, दंडनीय होगा :
परन्तु यह भी कि पूर्वोक्त क्रूरता के कारण यदि बालक शारीरिक रुप से अक्षम हो जाता है या उसे मानसिक रोग हो जाता है या वह मानसिक रुप में नियमित कार्यों को करने में अयोग्य हो जाता है या उसके जीवन या अंग को खतरा होता है, ऐसा व्यक्ति कठोर कारावास से, जो तीन वर्ष से कम का नहीं होगा, किंतु जो दस वर्ष तक का हो सकेगा और पांच लाख रुपए के जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।