किशोर न्याय अधिनियम २०१५
अध्याय ८ :
दत्तक ग्रहण :
धारा ५६ :
दत्तक ग्रहण ।
१) दत्तक ग्रहण, अनाथ, परित्यक्त और अभ्यर्पित बालकों के लिए कुटुंब के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए इस अधिनियम के उपबंधों और उसके अधीन बनाए गए नियमों तथा प्राधिकरण द्वारा विरचित दत्तक ग्रहण विनियमों के अनुसार किया जाएगा ।
२) एक नातेदार से दुसरे नातेदार द्वारा किसी बालक का दत्तक ग्रहण धर्म को विचार में लाए बिना, इस अधिनियम के उपबंधो और प्राधिकरण द्वारा विरचित दत्तक ग्रहण विनियमों के अनुसार किया जा सकता है ।
३) इस अधिनियम की कोई बात हिन्दू दत्तक तथा भरण-पोषण अधिनियम, १९५६ (१९५६ का ७८) के उपबंधो के अनुसार किए गए बालकों के दत्तकग्रहण को लागू नहीं होगी ।
४) सभी अंतरदेशीय दत्तक ग्रहण, केवल इस अधिनियम के उपबंधो और प्राधिकरण द्वारा विरचित दत्तक ग्रहण विनियमों के अनुसार ही किए जाएंगे ।
५) कोई व्यक्ति, जो १.(जिला मजिस्ट्रेट) के विधिमान्य आदेश के बिना किसी बालक को किसी दुसरे देश में ले जाता है या भेजता है या किसी दूसरे देश में अन्य व्यक्ति को किसी बालक की देखरेख और अभिरक्षा को अंतरित करने के किसी इंतजाम में भाग लेता है, धारा ८० के उपबंधो के अनुसार दंडनीय होगा।
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१. २०२१ के अधिनियम सं० २३ की धारा १७ द्वारा न्यायालय शब्द के स्थान पर प्रतिस्थापित।