किशोर न्याय अधिनियम २०१५
धारा ५३ :
इस अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रीकृत संस्थाओं में पुनर्वास और पुन: मिलाने की सेवाएं और उनका प्रबंध ।
१) वे सेवाएं, जो बालकों के पुनर्वास और पुन: मिलाने की प्रकिया में इस अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रीकृत संस्थाओं द्वारा प्रदान की जाएंगी, ऐसी रीति में होंगी, जो विहित की जाएं, जिसमें निम्नलिखित हो सकेंगी, –
एक) विहित मानकों के अनुसार आधारभूत आवश्यकताएं, जैसे खाना, आश्रय, कपडे और चिकित्सीय ध्यान;
दो) विशेष आवश्यकताओं वाले बालकों के लिए यथा अपेक्षित उपस्कर, जैसे व्हील चेयर, प्रोस्थेटिक युक्तियां, श्रवण सहाय यंत्र, ब्रेल किट या यथापेक्षित कोई अन्य उपयुक्त साधन और साधित्र;
तीन) विशेष आवश्यकताओं वाले बालकों के लिए उपयुक्त शिक्षा, जिसके अंतर्गत अनुपूरक शिक्षा, विशेष शिक्षा और समुचित शिक्षा भी है :
परन्तु छह वर्ष से चौदह वर्ष के बीच की आयु वाले बालकों के लिए नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, २००९ के उपबंध लागू होंगे;
चार) कौशल विकास;
पांच) उपजीविकाजन्य थेरेपी और जीवन कौशल शिक्षा;
छह) मानसिक स्वास्थ्य मध्यक्षेप, जिसके अंतर्गत बालक की जरुरत के लिए विनिर्दिष्ट परामर्श भी है;
सात) आमोद-प्रमोद क्रियाकलाप, जिसके अंतर्गत खेलकूद और सांस्कृतिक क्रियाकलाप भी है;
आठ) विधिक सहायता, जहां अपेक्षित हो;
नौ) शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण; निराव्यसन, रोगों के उपचार के लिए परामर्श सेवाएं जहां अपेक्षित हो;
दस) देखरेख प्रबंध, जिसके अंतर्गत व्यष्टिक देखरेख योजना की तैयारी और उसका चालू रहना भी है;
ग्यारह) जन्म रजिस्ट्रीकरण;
बारह) पहचान का सबूत प्राप्त करने के लिए सहायता, जहां अपेक्षित हो; और
तेरह) कोई अन्य सेवा, जो बालक के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार, रजिस्ट्रीकृत या योग्य व्यष्टिकों या संस्थाओं द्वारा या तो प्रत्यक्षत: या परामर्श सेवाओं के माध्यम से युक्तियुक्त रुप से प्रदान की जा सके ।
२) संस्था के प्रबंध और प्रत्येक बालक की प्रगति को मानीटर करने के लिए प्रत्येक संस्था की, ऐसी रीति में, जो विहित की जाए, स्थापित की गई एक प्रबंध समिति होगी ।
३) छह वर्ष से ऊपर के बालकों को रखने वाली प्रत्येक संस्था का प्रभारी अधिकारी, बालकों को ऐसे क्रियाकलापों में भाग लेने के लिए, जो संस्था में बालकों की सुरक्षा और कल्याण के लिए विहित किए जाएं, बाल समितियां स्थापित करने को सुकर बनाएगा ।