किशोर न्याय अधिनियम २०१५
धारा ४७ :
संप्रेक्षण गृह ।
१) राज्य सरकार, स्वयं या स्वैच्छिक अथवा गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से प्रत्येक जिले या जिलों के समूह में संप्रेक्षण गृह स्थापित करेगी और उनका रखरकाव करेगी जिन्हें इस अधिनियम के अधीन किसी जांच के लंबित रहने के दौरान विधि का उल्लंघन करने के अभिकथित किसी बालक को अस्थायी रुप से रखने, उसकी देखरेख और पुनर्वस के लिए इस अधिनियम की धारा ४१ के अधीन रजिस्ट्रीकृत किया जाएगा ।
२) जहां राज्य सरकार की यह राय है कि उपधारा (१) के अधीन स्थापित या अनुरक्षित किसी गृह से भिन्न कोई रजिस्ट्रीकृत संस्था, इस अधिनियम के अधीन किसी जांच के लंबित रहने के दौरान विधि का उल्लंघन करने के अभिकथित ऐसे बालक को अस्थायी रुप से रखने के योग्य है, तो वह इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए ऐसी संस्था को संप्रेक्षण गृह के रुप में रजिस्ट्रीकृत कर सकेगी ।
३) राज्य सरकार, इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा संप्रेक्षण गृहों के प्रबंध और मानीटरी के लिए उपबंध कर सकेगी, जिसके अंतर्गत विधि का उल्लंघन करने के अभिकथित किसी बालक के पुनर्वास और उसको समाज में मिलाने के लिए उनके द्वारा दी गई सेवाओं का स्तर और विभिन्न किस्में तथा ऐसी परिस्थितियां, जिनके अधीन और वह रीति जिसमें किसी संप्रेक्षण गृह का रजिस्ट्रीकरण मंजूर किया और वापस लिया जा सकेगा, भी है ।
४) विधि का उल्लंघन करने के लिए अभिकथित प्रत्येक ऐसे बालक को, जो माता-पिता या संरक्षक के भारसाधन में नहीं रखा जाता है और किसी संप्रेक्षण गृह में भेजा जाता है, बालक की शारीरिक और मानसिक प्रास्थिति और कारित अपराध की कोटि पर सम्यक् विचार करने के पश्चात् बालक की आयु और qलग के अनुसार उसे अलग रखा जाएगा ।