किशोर न्याय अधिनियम २०१५
धारा ४५ :
प्रवर्तकता ।
१) राज्य सरकार, व्यष्टिक से व्यष्टिक प्रवर्तकता, सामूहिक प्रवर्तकता या सामुदायिक प्रवर्तकता जैसी बालकों की प्रवर्तकता के विभिन्न कार्यक्रमों का जिम्मा लेने के प्रयोजन के लिए नियम बना सकेगी ।
२) प्रवर्तकता के मानदंडो के अंतर्गत निम्नलिखित होंगे, –
एक) जहां माता विधवा या विछिन्न विवाह स्त्री या कुटुंब द्वारा परित्यकता है;
दो) जहां बालक अनाथ है और विस्तारित कुटुंब के साथ रह रहे है;
तीन) जहां माता-पिता जीवन के लिए संकटमय रोग से पीडित है;
चार) जहां माता-पिता दुर्घटना के कारण अशक्त हो गए है और बालकों की वित्तीय और शारीरिक दोनों प्रकार से देखरेख करने में असमर्थ है ।
३) प्रवर्तकता की अवधि ऐसी होगी जो विहित की जाए ।
४) प्रवर्तकता कार्यक्रम द्वारा बालकों के जीवन स्तर में सुधार लाने की दृष्टि से उनकी चिकित्सा, पोषण, शिक्षा संबंधी और अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कुटुंबों, बाल-गृहों और विशेष गृहों को अनुपूरक सहायता प्रदान की जा सकेगी ।