JJ act 2015 धारा ४१ : बाल देखरेख संस्थाओं का रजिस्ट्रीकरण ।

किशोर न्याय अधिनियम २०१५
धारा ४१ :
बाल देखरेख संस्थाओं का रजिस्ट्रीकरण ।
१) तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी सभी ऐसी संस्थाओं को, चाहे वे राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही हो या स्वैच्छिक अथवा गैर-सरकारी संगठनों द्वारा चलाई जा रही हों, जो पूर्णत: या भागत: देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों या विधि का उल्लंघन करने वाले बालकों को रखने के लिए आशयित है, १.(***) इस बात पर ध्यान दिए बिना कि वे, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार से अनुदान प्राप्त कर रही है या नहीं, इस अधिनियम के अधीन ऐसी रीति में, जो विहित की जाए, रजिस्टर किया जाएगा :
परन्तु इस अधिनियम के प्रारंभ की तारीख को किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, २००० के अधीन विधिमान्य रजिस्ट्रीकरण रखने वाली संस्थाओं को, इस अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रीकृत किया गया समझा जाएगा ।
२) इस धारा के अधीन रजिस्ट्रीकरण के समय राज्य सरकार, संस्था की क्षमता और प्रयोजन को २.(जिला मजिस्ट्रेट की सिफारिशों पर विचार करने के पश्चात अवधारित) और अभिलिखित करेगी तथा संस्था को, यथास्थिति, किसी बाल-गृह या खुला आश्रय या विशिष्ट दत्तकग्रहण अभिकरण या संप्रेक्षण गृह या विशेष गृह या सुरक्षित स्थान के रुप में रजिस्ट्रीकृत करेगी ।
३) देखरेख और सरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों या विधि का उल्लंघन करने वाले बालकों को रखने वाली किसी विद्यमान या नई संस्था से उपधारा (१) के अधीन रजिस्ट्रीकरण का आवेदन प्राप्त होने पर राज्य सरकार ऐसी संस्था को इस अधिनियम के क्षेत्राधीन लाने के लिए आवेदन प्राप्ति की तारीख से एक मास के भीतर अधिकतम छह मास की अवधि के लिए अंतिम रजिस्ट्रीकरण मंजूर कर सकेगी और ऐसे गृह की क्षमता अवधारित करेगी, जिसे रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र में वर्णित किया जाएगा :
परंतु यदि उक्त संस्था उपधारा (१) में विनिर्दिष्ट अवधि के भीतर रजिस्ट्रीकरण के लिए विहित मानदंडों को पूरा नहीं करती है तो अंतिम रजिस्ट्रीकरण रद्द हो जाएगा और उपधारा (५) के उपबंध लागू होंगे ।
४) यदि राज्य सरकार, आवेदन की तारीख से एक मास के भीतर कोई अंतिम रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र जारी नहीं करती है, तो रजिस्ट्रीकरण के लिए आवेदन की प्राप्ति के सबूत को किसी संस्था को छह मास की अधिकतम अवधि के लिए चलाने हेतु अंतिम रजिस्ट्रीकरण समझा जाएगा ।
५) यदि रजिस्ट्रीकरण का आवेदन, किसी राज्य सरकार के किसी अधिकारी या किन्हीं अधिकारियों द्वारा छह मास के भीतर निपटाया नहीं जाता है तो उनके उच्चतर नियंत्रक प्राधिकारियों द्वारा उसे उनकी और से कर्तव्य की अवहेलना के रुप में लिया जाएगा और समुचित विभागीय कार्यवाहियां आरंभ की जाएंगी ।
६) किसी संस्था के रजिस्ट्रीकरण की अवधि पांच वर्ष की होगी और उनका प्रत्येक पांच वर्ष में नवीकरण किया जाएगा ।
७) राज्य सरकार ऐसी प्रक्रिया का, जो विहित की जाए, अनुसरण करने के पश्चात् ऐसी संस्थाओं के, जो धारा ५३ में यथाविनिर्दिष्ट पुनर्वासन और पुन: मिलाने की सेवाएं प्रदान करने में असफल रहती है, रजिस्ट्रीकरण को, यथास्थिति, रद्द या विधारित कर सकेगी और किसी संस्था के रजिस्ट्रीकरण को नवीकृत या मंजूर किए जाने तक, राज्य सरकार संस्था का प्रबंध करेगी ।
८) इस धारा के अधीन रजिस्ट्रीकृत कोई भी बाल देखरेख संस्था, जैसा कि समिति द्वार निदेश दिया जाए, संस्था की क्षमत के अधीन रहते हुए कर्तव्यबद्ध होगी, चाहे वह, यथास्थिति, केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार से अनुदान प्राप्त कर रहीं हों या नहीं ।
९) तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, धारा ५४ के अधीन नियुक्त निरीक्षण समिति को बालक रखने वाली किसी संस्था का, भले ही वह इस अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रीकृत न भी हो, इस बात का अवधारण करने के लिए कि क्या ऐसी संस्था देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों को रख रही है, निरीक्षण करने की शक्ति होगी ।
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१. २०२१ के अधिनियम सं० २३ की धारा १४ इस अधिनियम के प्रारंभ की तारीख से छह मास की अवधि के भीतर, शब्दों का लोप किया गया ।
२. २०२१ के अधिनियम सं० २३ की धारा १४ द्वारा अवधारित शब्द के स्थान पर प्रतिस्थापित ।

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