किशोर न्याय अधिनियम २०१५
धारा २४ :
किसी अपराध के निष्कर्षो के आधार पर निरर्हताओं का हटाया जाना ।
१) तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी, कोई बालक, जिसने कोई अपराध किया है और जिसके बारे में इस अधिनियम के उपबंधो के अधीन कार्यवाही की जा चुकी है किसी ऐसी निरर्हता से, यदि कोई हो, ग्रस्त नहीं होगा, जो ऐसी विधि के अधीन किसी अपराध की दोषसिद्धि से संलग्न हो :
परंतु उस बालक की दशा में, जिसने सोलह वर्ष की आयु पूरी कर ली है या जो सोलह वर्ष से अधिक आयु का है और बालक न्यायालय की धारा १९ की उपधारा (१) के खंड (एक) के अधीन उसके बारे में यह निष्कर्ष है कि उसने विधि का उल्लंघन किया है, उपधारा (१) के उपबंध लागू नहीं होंगे ।
२) बोर्ड, पुलिस को या बालक न्यायालय या अपनी स्वयं की रजिस्ट्री को यह निदेश देते हुए आदेश देगा कि ऐसी दोषसिद्धि के सुसंगत अभिलेख, यथास्थिति, अपील की अवधि या ऐसी युक्तियुक्त अवधि, जो विहित की जाए, समाप्त होने के पश्चात् नष्ट कर दिए जाएंगे :
परंतु किसी जघन्य अपराध की दशा में, जहां बालक के बारे में यह पाया जाता है कि उसने धारा १९ की उपधारा (१) के खंड (एक ) के अधीन विधि का उल्लंघन किया है, ऐसे बालक की दोषसिद्धि के सुसंगत अभिलेखों को बालक न्यायालय द्वारा प्रतिधारित रखा जाएगा ।