भारतीय न्याय संहिता २०२३
अध्याय १० :
सिक्कों, करेंसी नोट, बैंक नोट और सरकारी स्टाम्पों ( मुद्रापत्र / मुद्रांकित पत्र ) से संबंधित अपराधों के विषय में :
धारा १७८ :
सिक्कों, सरकारी स्टाम्पो, करेन्सी नोट या बँक नोट का कूटकरण :
धारा : १७८
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : करेंसी नोटों या बैंक नोटों का कूटकरण ।
दण्ड : आजीवन कारावास, या दस वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : सेशन न्यायालय ।
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जो कोई सिक्के का कूटकरण करेगा या यह जानते हुए कि किसी सिक्के, बैंक नोट या करेंसी नोट या राजस्व के प्रयोजन के लिए स्टाम्प या सिक्के के कूटकरण की प्रक्रिया के किसी भाग को करेगा, वह आजीवन कारावास से या दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।
स्पष्टीकरण :
इस अध्याय के प्रयोजनों के लिए,-
१) बैंक-नोट पद से वचन-पत्र या मांग पर धारक को धन के संदाय हेतु व्यवस्था अभिप्रेत है जो विश्व के किसी भी भाग में बैककारी कारबार करने वाले किसी व्यक्ति द्वारा जारी या किसी राज्य या संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न शक्ति के प्राधिकार द्वारा जारी और प्राधिकार के अधीन प्रचालित धन के स्थान पर या उसके समतुल्य प्रयोग किए जाने हेतु आशयित है;
२) सिक्का पद का वही अर्थ होगा जो इसका सिक्का-निर्माण अधिनियम, २०११ की धारा २ में है और इसके अंतर्गत तत्समय धन के रुप में उपयोग में लाई जा रही और इस प्रकार उपयोग में लाए जाने के लिए किसी राज्य या संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न शक्ति के प्राधिकार द्वारा स्टांपित और प्रचालित धातु है;
३) जो व्यक्ति सरकारी स्टाम्प कूटकरण का अपराध करेगा जो एक मूल्य के असली स्टाम्प को किसी भिन्न मूल्य के असली स्टाम्प जैसा दिखाई देने का कूटकरण करता है;
४) जो व्यक्ति असली सिक्के को किसी भिन्न सिक्के के जैसा दिखाई देने वाला इस आशय से बनाता है कि प्रवंचना की जाए या यह संभाव्य जानते हुए बनाता है कि तद्द्वारा प्रवंचना की जाएगी, वह नाणे का कूटकरण का अपराध करता है; और
५) सिक्का कूटकरण अपराध के कूटकरण में सिक्के के वजन को कम करना या मिश्रण परिवर्तन या दिखाई देने में परिवर्तन सम्मिलित है ।