भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा १२९ :
आपराधिक बल :
जो कोई किसी व्यक्ती पर उस व्यक्ती की सम्मति के बिना बल का प्रयोग किसी अपराध को करने के लिए या उस व्यक्ती को, जिस पर बल का प्रयोग किया जाता है, क्षति (हानि), भय या क्षोभ, ऐसे बल के प्रयोग से कारित करने के आशय से, या ऐसे बल के प्रयोग से संभाव्यत: कारित करेगा यह जानते हुए साशय करता है, वह उस अन्य व्यक्ती पर आपराधिक बल का प्रयोग करता है, यह कहा जाता है।
दृष्टांत :
क) (य) नदी के किनारे रस्सी से बंधी हुई नाव पर बैठा है । (क) रस्सियों को उद्बन्धित करता है और उस प्रकार नाव को धार में साशय बहा देता है । यहां (क), (य) को साशय गतिमान करता है, और वह ऐसा उन पदार्थों को ऐसी रीति से व्ययनित करके करता है कि किसी व्यक्ति की ओर से कोई अन्य कार्य किए बिना ही गति उत्पन्न हो जाती है । अतएव, (क) ने (य) पर बल का प्रयोग साशय किया है , और यदि उसने (य) की सम्मति के बिना यह कार्य कोई अपराध करने के लिए या यह आशय रखते हुए, या यह सम्भाव्य जानते हुए किया है कि ऐसे बल के प्रयोग से वह (य) को क्षति, भय या क्षोभ कारित करे, तो (क) ने (य) पर आपराधिक बल का प्रयोग किया है ।
ख) (य) एक रथ में सवार होकर चल रहा है । (क), (य) के घोडों को चाबुक मारता है, और उसके द्वारा उनकी चाल को तेज कर देता है । यहां (क) ने जीवजन्तुओं को उनकी अपनी गति परिवर्तित करने के लिए उत्प्रेरित करके (य) का गति-परिवर्तन कर दिया है । अतएव, (क) ने (य) पर बल का प्रयोग किया है, और यदि (क) ने (य) की सम्मति के बिना यह आशय रखते हुए या यह सम्भाव्य जानते हुए किया है कि वह उससे (य) को क्षति, भय या क्षोभ उत्पन्न करे तो (क) ने (य) पर आपराधिक बल का प्रयोग किया है ।
ग) (य) एक पालकी में सवार होकर चल रहा है । (य) को लूटने का आशय रखते हुए (क) पालकी का डंडा पकड लेता है, और पालकी रोक देता है । यहां, (क) ने (य) को गतिहीन किया है, और यह उसने अपनी शारीरिक शक्ति द्वारा किया है, अतएव (क) ने (य) पर बल का प्रयोग किया है, और (क) ने (य) की सम्मति के बिना यह कार्य अपराध करने के लिए साशय किया है, इसलिए (क) ने (य) पर आपराधिक बल का प्रयोग किया है ।
घ) (क) सडकपर साशय (य) को धक्का देता है, यहां (क) ने अपनी निजी शारीरिक शक्ति द्वारा अपने शरीर को इस प्रकार गति दी है कि वह (य) के संस्पर्श में आए । अतएव उसने साशय (य) पर बल का प्रयोग किया है, और यदि उसने (य) की सम्मति के बिना यह कार्य यह आशय रखते हुए या यह सम्भाव्य जानते हुए किया है कि वह उससे (य) को क्षति, भय या क्षोभ उत्पन्न करे, तो उसने (य) पर आपराधिक बल का प्रयोग किया है ।
ङ) (क) यह आशय रखते हुए या यह बात सम्भाव्य जानते हुए एक पत्थर फेंकता है कि वह पत्थर इस प्रकार (य), या (य) के वस्त्र के या (य) द्वारा ले जाई जाने वाली किसी वस्तु के संस्पर्श में आएगा या यह कि वह पानी में गिरेगा और उछलकर पानी (य) के कपडों पर या (य) द्वारा ले जाई जाने वाली किसी वस्तु पर जा पडेगा । यहां, यदि पत्थर के फेंके जाने से यह परिणाम उत्पन्न हो जाए कि कोई पदार्थ (य), या (य) के वस्त्रों के संस्पर्श में आ जाए, तो (क) ने (य) पर बल का प्रयोग किया है; और यदि उसने (य) की सम्मति के बिना यह कार्य उसके द्वारा (य) को क्षति, भय या क्षोभ उत्पन्न करने का आशय रखते हुए किया है, तो उसने (य) पर आपराधिक बल का प्रयोग किया है ।
च) (क) किसी स्त्री का घूंघट साशय हटा देता है । यहां, (क) ने उस पर साशय बल का प्रयोग किया है, और यदि उसने उस स्त्री की सम्मति के बिना यह कार्य यह आशय रखते हुए या यह सम्भाव्य जानते हुए किया है कि उससे उसको क्षति, भर या क्षोभ उत्पन्न हो, तो उसने उस पर आपराधिक बल का प्रयोग किया है ।
छ) (य) स्थान कर रहा है । (क) स्नान करने के टब में ऐसा जल डाल देता है जिसे वह जानता है कि वह उबल रहा है । यहां, उबलते हुए जल में ऐसी गति को अपनी शारीरिक शक्ति द्वारा साशय उत्पन्न करता है कि उस जल का संस्पर्श (य) से होता है या अन्य जल से होता है, जो इस प्रकार स्थित है कि ऐसे संस्पर्श से (य) की संवेदन शक्ति प्रभावित होती है; इसलिए (क) ने (य) पर साशय बल का प्रयोग किया है, और यदि उसने (य) की सम्मति के बिना यह कार्य यह आशय रखते हुए या यह सम्भाव्य जानते हुए किया है कि वह उससे (य) को क्षति, भय या क्षोभ उत्पन्न करे, तो (क) ने आपराधिक बल का प्रयोग किया है ।
ज) (क), (य) की सम्मति के बिना, एक कुत्ते को (य) पर झपटने के लिए भडकाता है । यहां यदि (क) का आशय (य) को क्षति, भय या क्षोभ कारित करने का है तो उसने (य) पर आपराधिक बल का प्रयोग किया है ।