भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा १११ :
संगठित अपराध :
धारा : १११ (२) (क)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : संगठित अपराध, जिसके परिणामस्वरुप किसी व्यक्ति की मृत्यु हो ।
दण्ड : मृत्यु या आजीवन कारावास और जुर्माना जो १० लाख रुपए से कम नहीं होगा ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : सेशन न्यायालय ।
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धारा : १११ (२) (ख)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : किसी अन्य दशा में ।
दण्ड : कारावास जो ५ वर्ष से कम नहीं होगा, किन्तु जो आजीवन कारावास तक हो सकेगा और जुर्माना, जो ५ लाख रुपए से कम नहीं होगा ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : सेशन न्यायालय ।
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धारा : १११ (३)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : संगठित अपराध किए जाने का दुष्प्रेरण, प्रयत्न, षडयंत्र करना या आशयपूर्वक उसे सुकर बनाना ।
दण्ड : कारावास जो ५ वर्ष के कम नहीं होगा, किन्तु आजीवन कारावास तक हो सकेगा और जुर्माना, जो ५ लाख रुपए से कम नहीं होगा।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : सेशन न्यायालय ।
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धारा : १११ (४)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : संगठित अपराध सिंडिकेट का सदस्य होना ।
दण्ड : कारावास जो ५ वर्ष के कम नहीं होगा, किन्तु आजीवन कारावास तक हो सकेगा और जुर्माना, जो ५ लाख रुपए से कम नहीं होगा।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : सेशन न्यायालय ।
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धारा : १११ (५)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : आशयपूर्वक किसी व्यक्ति को, जिसने संगठित अपराध कारित किया है, संश्रय देना या छिपाना ।
दण्ड : कारावास जो ३ वर्ष के कम नहीं होगा, किन्तु आजीवन कारावास तक हो सकेगा और जुर्माना, जो ५ लाख रुपए से कम नहीं होगा।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : सेशन न्यायालय ।
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धारा : १११ (६)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : संगठित अपराध से व्युत्पन्न या प्राप्त कोई संपत्ति धारण करना ।
दण्ड : कारावास जो ३ वर्ष के कम नहीं होगा, किन्तु आजीवन कारावास तक हो सकेगा और जुर्माना, जो २ लाख रुपए से कम नहीं होगा।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : सेशन न्यायालय ।
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धारा : १११ (७)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : संगठित अपराध सिंडिकेट के किसी सदस्य की ओर से संपत्ति धारण करना ।
दण्ड : कारावास जो ३ वर्ष के कम नहीं होगा, किन्तु जो १० वर्ष तक का हो सकेगा और १ लाख रुपये जुर्माना।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : सेशन न्यायालय ।
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१) किसी संगठित अपराध सिंडिकेट (अभिषद्) के सदस्य के रुप में या ऐसे सिंडिकेट (अभिषद) की ओर से मिलकर, एकल रुप से या संयुक्त रुप से सामान्य मति से कार्य करने वाले व्यक्ति या व्यष्टियों के समूहों के प्रयास द्वारा, हिंसा की धमकी, अभित्रास, उत्पीडन, भ्रष्टाचार, या संबंधित क्रियाकलाप या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तात्विक फायदा जिसके अंतर्गत वित्तीय फायदा भी है, प्राप्त करने के लिए अन्य विधिविरुद्ध साधनों के प्रयोग द्वारा, कोई सतत् विधिविरुद्ध क्रियाकलाप, जिसके अंतर्गत व्यपहरण, डकैती, यान चोरी, उद्दापन, भूमि हथियाना, संविदा वध, आथिक अपराध, गंभीर परिणाम वाले साइबर-अपराध, लोगों, औषधियों, अवैध माल या सेवाओं और हथियारों का दुर्व्यापार, वेश्यावृत्ति या फिरौती के लिए मानव दुव्र्यपार घेरा भी है, संगठित अपराध का गठन करेगा।
स्पष्टीकरण :
इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए, –
एक) संगठित अपराध सिंडिकेट से दो या अधिक व्यक्तियों समूह अभिप्रेत है जो एक सिंडिकेट या टोली के रुप में या तो अकेले या सामुहिक रुप से कृत्य करते हुए किसी सतत् विधि विरुद्ध क्रियाकलाप में लिप्त है ।
दो) सतत् विधिविरुद्ध क्रियाकलाप, विधि द्वारा प्रतिषिद्ध क्रियाकलाप अभिप्रेत है, जो तीन या अधिक वर्ष के कारावास से दण्डनीय संज्ञेय अपराध है, जो किसी व्यक्ति द्वारा या तो एकल या संयुक्त रुप से, किसी संगठित अपराध सिंडिकेट के सदस्य के रुप में या ऐसे सिंडिकेट की और से जिसके संबंध में एक से अधिक आरोप पत्र दस वर्ष की पूर्ववर्ती अवधि के भीतर सक्षम न्यायालय के समक्ष दाखिल किए गए है और उस न्यायालय ने ऐसे अपराध का संज्ञान लिया है और जिसमें आर्थिक अपराध भी शामिल है;
तीन) आर्थिक अपराध में आपराधिक न्याय भंग, कूटरचना, करेंसी नोट, बैंक नोट और सराकरी स्टापों का कूटकरण, हवाला संव्यवहार, बडे पैमाने पर विपणन कपट या किसी प्ररुप में धनीय फायदा प्राप्त करने के लिए बहुसंख्या में लोगों के साथ कपट करने की दृष्टि से स्कीम चलाना या किसी बैंक या वित्तीय संस्था या किसी अन्य संस्था या संगठन को कपट करने की दृष्टी से किसी रीति में, कोई कृत्य करना शामिल है;
२) जो कोई संगठित अपराध कारित करेगा, –
(a) क) यदि ऐसे अपराध के परिणामस्वरुप किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो वह मृत्यु या आजीवन कारावास से दंडित होगा और ऐसे जुर्माने से लिए भी दायी होगा जो दस लाख रुपए से कम नहीं होगा;
(b) ख) अन्य मामलों में, वह ऐसी अवधि के कारावास से दंडनीय होगा, जो पांच वर्ष से कम नहीं होगा किंतु आजीवन कारावास तक का हो सकेगा और ऐसे जुर्माने के लिए भी दायी होगा जो पांच लाख रुपए से कम नहीं होगा।
३) जो कोई संगठित अपराध का दुष्प्रेरण, प्रयत्न, षडयंत्र करता है या उसका संचालन करता है, या उसमें सहायता करता है, उसे सुकर बनाता है या संगठित अपराध के किसी प्रारंभिक कार्य में अन्यथा नियोजित होता है, वह ऐसी अवधि के कारावास से दंडनीय होगा, जो पांच वर्ष से कम नहीं होगा किंतु आजीवन कारावास तक हो सकेगा और ऐसे जुर्माने के लिए भी दायी होगा जो पांच लाख रुपए से कम नहीं होगा।
४) कोई व्यक्ती जो संगठित अपराध अभिषद् का सदस्य है, वह ऐसी अवधि के कारावास से दंडनीय होगा, जो पांच वर्ष से कम नहीं होगा किंतु आजीवन कारावास तक हो सकेगा और ऐसे जुर्माने के लिए भी दायी होगा जो पांच लाख रुपए से कम नहीं होगा।
५) जो कोई आशयपूर्वक किसी व्यक्ति को, जिसने संगठित अपराध कारित किया है, संश्रय देता है या छिपाता है वह ऐसी अवधि के कारावास से दंडनीय होगा, जो तीन वर्ष से कम नहीं होगा किंतु आजीवन कारावास तक का हो सकेगा और ऐसे जुर्माने के लिए भी दायी होगा जो पांच लाख रुपए से कम नहीं होगा :
परंतु यह उपधारा उस दशा में लागू नहीं होंगी, जिसमें संश्रय या धिपाना अपराधी के पति-पत्नी द्वारा किया जाता है ।
६) जो कोई संगठित अपराध से व्युत्पन्न या प्राप्त किसी संपत्ति या किसी संगठित अपराध के आगमों या जो संगठित अपराध माध्यम से माध्यम से अर्जित की गई है, किसी संपत्ति पर कब्जा रखता है, वह ऐसी अवधि के कारावास से दंडनीय होगा, जो तीन वर्ष से कम नहीं होगा किंतु आजीवन कारावास तक का हो सकेगा और ऐसे जुर्माने के लिए भी दायी होगा जो दो लाख रुपए से कम नहीं होगा ।
७) यदि कोई व्यक्ति संगठित अपराध अभिषद् के सदस्य की ओर से या किसी समय किसी जंम या स्थावर संपत्ति को धारण करता है, जिसका वह समाधानप्रद लेखा नहीं दे सका है, वह ऐसी अवधि के कारावास से दंडनीय होगा, जो तीन वर्ष से कम नहीं होगा किंतु दस वर्ष तक का हो सकेगा और ऐसे जुर्माने के लिए भी दाय होगा जो एक लाख रुपए से कम नहीं होगा और ऐसी संपत्ति जब्ती और समपहरण के लिए भी दायी होगी ।