विदेशियों विषयक अधिनियम १९४६
धारा ५ :
नाम परिवर्तन :
१) कोई भी विदेशी जो १.(भारत) में उस तारीख को था जब यह अधिनियम प्रवृत्त हुआ, उस तारीख के पश्चात जब वह १.(भारत) में है, उस नाम से भिन्न जिससे उक्त तारीख से ठीक पहले वह साधारणतः ज्ञात था किसी भी प्रयोजनार्थ किसी अन्य नाम का, ग्रहण या उपयोग नहीं करेगा या ग्रहण या प्रयोग करना तात्पर्यित नहीं करेगा।
२) जहां उस तारीख के पश्चात जब यह अधिनियम प्रवृत्त हुआ था, कोई विदेशी (चाहे स्वयं या किसी अन्य व्यक्ति के साथ) उस नाम या अभिधान से भिन्न जिससे उक्त तारीख के ठीक पहले वह व्यापार या कारवार चलाया जा रहा था, किसी नाम या अभिधान से कोई व्यापार या कारबार चलाता है या उसके द्वारा चलाना तात्पर्यित है, तो उपधारा (१) के प्रयोजनों के लिए यह समझा जाएगा कि वह उस नाम से भिन्न जिसके द्वारा वह उक्त अधिनियम के ठीक पहले साधारणतः ज्ञात था किसी अन्य नाम का प्रयोग कर रहा है।
३) किसी ऐसे विदेशी के संबंध में, जो उस तारीख को जब यह अधिनियम प्रवृत्त हुआ था, १.(भारत) में नहीं था, और तत्पश्चात १.(भारत) में प्रवेश करता है तो उपधारा (१) और (२) ऐसे प्रभावी होंगी मानो उन उपधाराओं में जिस तारीख को यह अधिनियम प्रवृत्त हुआ था उसके लिए निर्देश के स्थान पर उस तारीख के प्रति निर्देश प्रतिस्थापित किए गए, जिसको वह तत्पश्चात प्रथम बार १.(भारत) में प्रवेश करता है।
४) इस धारा के प्रयोजनों के लिए-
(a)क) नाम पद के अंतर्गत उपनाम भी है, और
(b)ख) नाम परिवर्तित हुआ समझा जाएगा यदि उसकी वर्तनी में परिवर्तन किया जाता है।
५) इस धारा की कोई बात-
(a)क) केन्द्रीय सरकार द्वारा २.(***) अनुदत्त अनुज्ञा या अनुज्ञप्ति के अनुसरण में किसी नाम के; या
(b)ख) किसी विवाहित स्त्री द्वारा अपने पति के नाम के, ग्रहण या उपयोग को लागू नहीं होगी।
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१. १९४७ के अधिनियम सं० ३८ की धारा २ द्वारा ब्रिटिश भारत के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२. १९५७ के अधिनियम सं० ११ की धारा ६ द्वारा (१९-१-१९५७से) रायल शब्द का लोप किया गया।
