भारतीय न्याय संहिता २०२३
(२०२३ का अधिनियम क्रमांक ४५)
अपराधों और शास्तियों से संबंधित उपबंधों का समेकन और संशोधन तथा उससे संबद्ध या उससे आनुषंगिक विषयों का उपबंध करने के लिए विधेयक
भारत गणराज्य के चौहत्तरवें वर्ष में संसद् द्वारा निम्नलिखित रुप में यह अधिनियमित हो :-
अध्याय १ :
प्रारंभिक :
धारा १ :
संक्षिप्त नाम, प्रारम्भ और लागू होना :
१) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम भारतीय न्याय संहिता २०२३ है ।
२) यह ऐसी १.(तारीख) से प्रवृत्त होगा, जिसे केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे और संहिता के भिन्न-भिन्न उपबंधों के लिए भिन्न-भिन्न तारीख नियत की जा सकेगी ।
३) हर व्यक्ती इस संहिता के उपबंधों के प्रतिकूल हर कार्य या लोप के लिए, जिसका वह भारत के भीतर दोषी होगा, इसी संहिता के अधीन दण्डनीय होगा अन्यथा नहीं।
४) भारत से परे (बाहर) किए गए अपराध के लिए जो कोई व्यक्ती किसी भारतीय विधि के अनुसार विचारण का पात्र हो, भारत से परे (बाहर) किए गए कार्य के लिए उससे इस संहिता के उपबंधो के अनुसार ऐसा बरता जाएगा, मानो वह कार्य भारत के भीतर किया गया था।
५) इस संहिता के उपबंध,-
(a) क) भारत से बाहर और परे किसी स्थान में भारत के किसी नागरिक द्वारा;
(b) ख) भारत में रजिस्ट्रीकृत किसी पोत (जहाज) या विमान पर, चाहे वह कहीं भी हों, किसी व्यक्ती द्वारा;
(c) ग) भारत में अवस्थित किसी कम्प्यूटर संसाधन को लक्ष्य बनाकर (करते हुए) भारत के बाहर और परे किसी स्थान में कोई व्यक्ती द्वारा,
किए गये किसी अपराध को भी लागू है।
स्पष्टीकरण:
इस धारा में अपराध शब्द के अन्तर्गत भारत से बाहर किया गया ऐसा हर कार्य आता है, जो यदि भारत में किया जाता तो, इस संहिता के अधीन दण्डनीय होता ;
दृष्टांत :
जो भारत का नागरिक है, भारत से बाहर और परे हत्या करता है, वह भारत के किसी स्थान में, जहां वह पाया जाए, हत्या के लिए विचारित और दोषसिद्द किया जा सकता है ।
६) इस संहिता के अधिनियम में भारत सरकार के सेवा के अफसरों,सैनिको, नौसैनिकों या वायुसैनिकों द्वारा विद्रोह और अभित्यजन (कर्तव्य छोडकर भागना) को दण्डीत करने वाले किसी अधिनियम के उपबंधों, या किसी विशेष या स्थानिय विधि कें उपबंधों, पर प्रभाव नही करता है।
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१. १ जुलाई २०२४, अधिसूचना संख्यां क्रमांक एस. ओ. ८५०(ई), दिनांक २३ फरवरी २०२४, भारत का राजपत्र, असाधारण, भाग २, धारा ३ (दो) देखें ।