किशोर न्याय अधिनियम २०१५ धारा २ : परिभाषाएं ।

किशोर न्याय अधिनियम २०१५
धारा २ :
परिभाषाएं ।
इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,-
१) परित्यक्त बालक से अपने जैविक या दत्तक माता-पिता या संरक्षक द्वारा अभित्यक्त ऐसा बालक अभिप्रेत है जिसे समिति द्वारा सम्यक् जांच के पश्चात् परित्यक्त घोषित किया गया है;
२) दत्तकग्रहण से ऐसी प्रक्रिया अभिप्रेत है जिसके माध्यम से दत्तक बालक को उसके जैविक माता-पिता से स्थायी रुप से अलग कर दिया जाता है और वह अपने दत्तक माता-पिता का ऐसे सभी अधिकारों, विशेषाधिकारों और उत्तरदायित्वों सहित, जो किसी जैविक बालक से जुडे हों, विधिपूर्ण बालक बन जाता है;
३) दत्तकग्रहण विनियम से प्राधिकरण द्वारा विरचित और केन्द्रीय सरकार द्वारा दत्तकग्रहण के संबंध में अधिसूचित विनिमय अभिप्रेत है;
१.(***)
५) पश्चात्वर्ती देखरेख से उन व्यक्तीयों की, जिन्होंने अठारह वर्ष की आयु पूरी कर ली है, किन्तु इक्कीस वर्ष की आयु पूरी नहीं की है और जिन्होंने समाज की मुख्य धारा से जुडने के लिए किसी संस्थागत देखरेख का त्याग कर दिया है, वित्तीय और अन्यथा सहायता का उपबंध किया जाना अभिप्रेत है;
६)प्राधिकृत विदेशी दत्तकग्रहण अभिकरण से ऐसा कोई विदेशी, सामाजिक या बाल कल्याण अभिकरण अभिप्रेत है जो अनिवासी भारतीय के या विदेशी भारतीय नागरिक या भारतीय मूल के व्यक्तीयों या विदेशी भावी दत्तक माता-पिता के भारत से किसी बालक के दत्तकग्रहण संबंधी आवेदन का समर्थन करने की उस देश के उनके केन्द्रीय प्राधिकरण या सरकारी विभाग की सिफारिश पर केन्द्रीय दत्तकग्रहण स्त्रोत प्राधिकरण द्वारा प्राधिकृत है ;
७) प्राधिकरण से धारा ६८ के अधीन गठित केन्द्रीय दत्तकग्रहण स्त्रोत प्राधिकरण अभिप्रेत है;
८) भीख मांगना से,-
एक) किसी लोक स्थान पर भिक्षा की याचना करना या उसे प्राप्त करना अथवा किसी प्राइवेट परिसर में भिक्षा की याचना करने या उसे प्राप्त करने के प्रयोजन के लिए प्रवेश करना, चाहे वह किसी भी बहाने से हो;
दो) भिक्षा अभिप्राप्त करने या उद्दापित करने के उद्देश्य से अपना या किसी अन्य व्यक्ति या किसी जीवजंतु का कोई व्रण, घाव, क्षति, अंग विकार या रोग अभिदर्शित या प्रदर्शित करना,
अभिप्रेत है;
९) बालक का सर्वोत्तम हित से बालक के बारे में, उसके मूलभूत अधिकारों और आवश्यकताओं, पहचान, सामाजिक कल्याण और भौतिक, भावनात्मक और बौद्धिक विकास के पूरा किए जाने को सुनिश्चित करने के लिए किए गए किसी विनिश्चय का आधार अभिप्रेत है;
१०) बोर्ड से धारा ४ के अधीन गठित किशोर न्याय बार्ड अभिप्रेत है;
११) केन्द्रीय प्राधिकरण से बाल संरक्षण और अंतरदेशीय दत्तकग्रहण की बाबत सहयोग संबंधी हेग कन्वेंशन, १९९३ के अधीन उस रुप में मान्यताप्राप्त सरकारी विभाग अभिप्रेत है;
१२) बालक से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसने अठारह वर्ष की आयु पूरी नहीं की है;
१३) विधि का उल्लंघन करने वाला बालक से ऐसा बालक अभिप्रेत है, जिसके बारे में यह अभिकथन है या पाया गया है कि उसने कोई अपराध किया है और जिसने उस अपराध के किए जाने की तारीख को अठारह वर्ष की आयु पूरी नहीं की है;
१४) देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाला बालक से ऐसा बालक अभिप्रेत है-
एक) जिसके बारे में यह पाया जाता है कि उसका कोई घर या निश्चित निवास स्थान नहीं है और जिसके पास जीवन निर्वाह के कोई दृश्यमान साधन नहीं है; या
दो)जिसके बारे में यह पाया जाता है कि उसने २.(इस अधिनियम के उपबंधों का या) तत्समय प्रवृत्त श्रम विधियों का उल्लंघन किया है या पथ पर भीख मांगते या वहां रहते पाया जाता है; या
तीन) जो किसी व्यक्ती के साथ रहता है (चाहे वह बालक का संरक्षक हो या नहीं) और ऐसे व्यक्ती ने,-
क) बालक को क्षति पहुंचाई है, उसका शोषण किया है, उसके साथ दुव्र्यवहार किया है या उसकी उपेक्षा की है अथवा बालक के संरक्षण के लिए अभिप्रेत तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि का अतिक्रमण किया है; या
ख) बालक को मारने, उसे क्षति पहुंचाने, उसका शोषण करने या उसके साथ दुव्र्यवहार करने की धमकी दी है और उस धमकी को कार्यान्वित किए जाने की युक्तियुक्त संभावना है; या
ग) किसी अन्य बालक या बालकों का वध कर दिया है, उसके या उनके साथ दुव्र्यवहार किया है, उसकी या उनकी उपेक्षा या उसका या उनका शोषण किया है और प्रश्नगत बालक का उस व्यक्ति द्वारा वध किए जाने, उसके साथ दुव्र्यवहार, उसका शोषण या उसकी उपेक्षा किए जाने की युक्तियुक्त संभावना है; या
चार) जो मानसिक रुप से बीमार या मानसिक या शारीरिक रुप से असुविधाग्रस्त है या घातक अथवा असाध्य रोग से पीडित है, जिसकी सहायता या देखभाल करने वाला कोई नहीं है या जिसके माता-पिता या संरक्षक है, किन्तु वे उसकी देखरेख करने में, यदि बार्ड या समिति द्वारा ऐसा पाया जाए, असमर्थ है; या
पाँच) जिसके माता-पिता अथवा कोई संरक्षक है और ऐसी माता या एसे पिता अथवा संरक्षक को बालक की देखरेख करने और उसकी सुरक्षा तथा कल्याण की संरक्षा करने के लिए, समिति या बोर्ड द्वारा अयोग्य या असमर्थ पाया जाता है; या
३.(छ:) जिसके माता-पिता नहीं है और कोई भी उसकी देखरेख और संरक्षण करने का इच्छुक नहीं है या जिसका परित्याग या अभ्यर्पण कर दिया गया है;) या
सात) जो गुमशुदा या भागा हुआ बालक है या जिसके माता-पिता, ऐसी रीति में, जो विहित की जाए, युक्तियुक्त जांच के पश्चात् भी नहीं मिल सके है; या
आठ) जिसका लैंगिक दुव्र्यवहार या अवैध कार्यों के प्रयोजन के लिए दुव्र्यवहार, प्रपीडन या शोषण किया गया है या किया जा रहा है या किए जाने की संभावना है; या
नौ) जो असुरक्षित पाया गया है और उसे मादक द्रव्य दुरुपयोग या अवैध व्यापार में ४.(सम्मिलित किया गया है या सम्मिलित किया जा रहा है या सम्मिलित किए जाने की संभावना है;) या
दस) जिसका लोकात्मा विरुद्ध अभिलाभों के लिए दुरुपयोग किया जा रहा है या किए जाने की संभावना है; या
ग्यारह) जो किसी सशस्त्र संघर्ष, सिविल उपद्रव या प्राकृतिक आपदा से पीडित है या प्रभावित है; या
बारह) जिसको विवाह की आयु प्राप्त करने के पूर्व विवाह का आसन्न जोखिम है और जिसके माता-पिता और कुटुंब के सदस्यों, संरक्षक और अन्य व्यक्तियों के ऐसे विवाह के अनुष्ठापन के लिए उत्तरदायी होने की संभावना है;
१५) बालक हितैषी से ऐसा कोई व्यवहार, आचरण, पद्धति, प्रक्रिया, रुख, वातावरण या बर्ताव अभिप्रेत है, जो मानवीय, विचारशील और बालक के सर्वोत्तम हित में है;
१६) बालक का दत्तकग्रहण के लिए विधिक रुप से स्वतंत्र होना से धारा ३८ के अधीन सम्यक् जांच के पश्चात् समिति द्वारा उस रुप में घोषित किया गया बालक अभिप्रेत है;
१७) बालक कल्याण अधिकारी से, यथास्थिति, समिति या बोर्ड द्वारा दिए गए निदेशों को ऐसे उत्तरदायित्व से, जो विहित किया जाए, पालन करने के लिए ५.(बालक देखरेख संस्था) से जुडा कोई अधिकारी अभिप्रेत है;
१८) बालक कल्याण पुलिस अधिकारी से धारा १०७ की उपधारा (१) के अधीन उस रुप में पदाभिहित कोई अधिकारी अभिप्रेत है;
१९) बाल गृह से राज्य सरकार द्वारा, स्वयं द्वारा या किसी स्वैच्छिक या गैर-सरकारी संगठन के माध्यम से प्रत्येक जिले या जिलों के समूह में स्थापित या अनुरक्षित और धारा ५० में विनिर्दिष्ट प्रयोजनों के लिए उस रुप में रजिस्ट्रीकृत बाल गृह अभिप्रेत है;
२०) बालक न्यायालय से बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, २००५ (२००६ का ४) के अधीन स्थापित कोई न्यायालय या लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, २०१२ (२०१२ का ३२) के अधीन कोई विशेष न्यायालय, जहां कहीं विद्यमान हो, और जहां ऐसे न्यायालयों को अभिहित नहीं किया गया है, वहां इस अधिनियम के अधीन अपराधों का विचारण करने की अधिकारिता रखने वाला सेशन न्यायालय अभिप्रेत है;
२१) बालक देखरेख संस्था से बालगृह, खुला आश्रय, संप्रेक्षण गृह, विशेष गृह, सुरक्षित स्थान, विशिष्ट दत्तकग्रहण अभिकरण और उन बालकों की देखरेख और संरक्षा, जिन्हें ऐसी सेवाओं की आवश्यकता है, करने के लिए इस अधिनियम के अधीन मान्यताप्राप्त कोई उचित सुविधा तंत्र अभिप्रेत है;
२२) समिति से धारा २७ के अधीन गठित कोई बाल कल्याण समिति अभिप्रेत है;
२३) न्यायालय से ऐसा कोई सिविल न्यायालय अभिप्रेत है जिसे दत्तकग्रहण और संरक्षकता के मामलों में अधिकारिता प्राप्त है और इसके अंतर्गत जिला न्यायालय, कुटुंब न्यायालय और नगर सिविल न्यायालय भी सम्मिलित है;
२४) शारीरिक दंड से किसी व्यक्ति द्वारा किसी बालक को ऐसा शारीरिक दंड देना अभिप्रेत है जिसमें किसी अपराध के लिए प्रतिशोध के रुप में या बालक को अनुशासित करने या सुधारने के प्रयोजन के लिए जानबूझकर पीडा पहुंचाना अंतर्वलित है;
२५) बालबद्ध सेवाओं से संकटावस्था में बालकों के लिए चौबीस घंटे ऐसी आपातकालीन पहुंच सेवा अभिप्रेत है, जो उन्हे आपातकालीन या दीर्घकालीन देखरेख और पुनर्वास सेवा से जोडती है;
२६) जिला बालक संरक्षण एकक से किसी जिले के लिए धारा १०६ के अधीन राज्य सरकार द्वारा स्थापित एक बालक संरक्षण एकक अभिप्रेत है जो इस अधिनियम के क्रियान्वयन को और जिले में अन्य बालक संरक्षण उपायों को सुनिश्चित ६.(करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट के पर्यवेक्षण के अधीन कार्य करेगा;)
७.(२६क) जिला मजिस्ट्रेट के अंतर्गत जिले का अपर जिला मजिस्ट्रेट भी है;)
२७) उचित सुविधा तंत्र से किसी सरकारी संगठन या रजिस्ट्रीकृत स्वैच्छिक या गैर-सरकारी संगठन द्वारा चलाया जा रहा ऐसा सुविधा तंत्र उक्त प्रयोजन के लिए उचित होने के रुप में धारा ५१ की उपधारा (१) के अधीन, यथास्थिति, समिति या बोर्ड द्वारा मान्यताप्राप्त है;
२८) योग्य व्यक्ति से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है, जो बालक की किसी विनिर्दिष्ट प्रयोजन के लिए जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार है और ऐसे व्यक्ती की इस निमित्त जांच के पश्चात् पहचान कर ली गई है और उसे उक्त प्रयोजन के लिए, यथास्थिति, समिति या बोर्ड द्वारा बालक को लेने और उसकी देखरेख करने के लिए योग्य रुप में, मान्यता प्रदान की गई;
२९) पोषण देखरेख से किसी बालक का समिति द्वारा बालक के जैविक कुटुंब से भिन्न ऐसे किसी कुटुंब के, जिसका ऐसी देखरेख करने के लिए चयन किया गया है, जिसे अर्हित घोषित किया गया है, जिसका अनुमोदन और पर्यवेक्षण किया गया है, घरेलू वातावरण में आनुकल्पिक देखरेख के प्रयोजन के लिए रखा जाना अभिप्रेत है;
३०) पालक कुटुंब से ऐसा कुटुंब अभिप्रेत है जिसे जिला बालक संरक्षण एकक द्वारा धारा ४४ के अधीन पोषण देखरेख के लिए बालकों को रखने हेतु उपयुक्त पाया गया है;
३१) संरक्षक से, किसी बालक के संबंध में, उसका नैसर्गिक संरक्षक या ऐसा कोई अन्य व्यक्ति अभिप्रेत है जिसकी वास्तविक देखरेख में, यथास्थिति, समिति या बोर्ड की राय में, वह बालक है और जिसे, यथास्थिति, समिति या बोर्ड द्वारा कार्यवाहियों के दौरान संरक्षक के रुप में मान्यता प्रदान की गई है;
३२) सामूहिक पोषण देखरेख से देखरेख और संरक्षा की आवश्यकता वाले ऐसे बालकों के लिए, जिनकी पैतृक देखरेख नहीं होती है, कुटुंब जैसी ऐसी देखरेख सुविधा अभिप्रेत है, जिसका उद्देश्य कुटुंब जैसे और समुदाय आधारित समाधानों के माध्यम से व्यक्तिपरक देखरेख करने तथा संबंध और पहचान के बाोध को अनुकूल बनाने का है;
३३) जघन्य अपराध के अंतर्गत ऐसे अपराध आते है, जिनके लिए भारतीय दंड संहिता या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन न्यूनतम दंड सात वर्ष या उससे अधिक के कारावास का है;
३४) अंतर-देशीय दत्तकग्रहण से भारत से अनिवासी भारतीय द्वारा भारतीय मूल के किसी व्यक्ति द्वारा या किसी विदेशी द्वारा बालक का दत्तकग्रहण अभिप्रेत है;
३५) किशोर से अठारह वर्ष से कम आयु का बालक अभिप्रेत है;
३६) स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ के क्रमश: वही अर्थ है, जो स्वापक ओषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, १९८५ में है;
३७) निरापेक्ष प्रमाणपत्र से, अंतर-देशीय दत्तकग्रहण के संबंध में, उक्त प्रयोजन के लिए केन्द्रीय दत्तकग्रहण स्रोत प्राधिकरण द्वारा जारी किया गया कोई प्रमाणपत्र अभिप्रेत है;
३८) अनिवासी भारतीय से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसके पास भारतीय पासपोर्ट है और वर्तमान में एक से अधिक वर्ष से विदेश में रह रहा है;
३९) अधिसूचना से, यथास्थिति, भारत के राजपत्र में या किसी राज्य के राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना अभिप्रेत है और अधिसूचित पद का तद्नुसार अर्थ लगाया जाएगा;
४०) संप्रेक्षण गृह से किसी राज्य सरकार द्वारा स्वयं या किसी स्वैच्छिक या गैर-सरकारी संगठन के माध्यम से प्रत्येक जिले या जिलों के समूह में स्थापित और अनुरक्षित तथा धारा ४७ की उपधारा (१) में विनिर्दिष्ट प्रयोजनों के लिए उस रुप में रजिस्ट्रीकृत संप्रेक्षण गृह अभिप्रेत है;
४१) खुला आश्रय से बालकों के लिए राज्य सरकार द्वारा धारा ४३ की उपधारा (१) के अधीन स्वयं द्वारा या किसी स्वैच्छिक या गैर-सरकारी संगठन के माध्यम से स्थापित और अनुरक्षित तथा उस धारा में विनिर्दिष्ट प्रयोजनों के लिए उस रुप में रजिस्ट्रीकृत सुविधा तंत्र अभिप्रेत है;
४२) अनाथ से ऐसा बालक अभिप्रेत है, –
एक) जिसके जैविक या दत्तक माता-पिता या विधिक संरक्षक नहीं है; या
दो) जिसका विधिक संरक्षक बालक की देखरेख करने का इच्छुक नहीं है या देखरेक करने में समर्थ नहीं है;
४३) विदेशी भारतीय नागरिक से नागरिकता अधिनियम, १९५५ (१९५५ का ५७) में रजिस्ट्रीकृत कोई व्यक्ति अभिप्रेत है;
४४) भारतीय मलू के व्यक्ति अभिप्रेत है जिसके पारम्परिक पूर्वपुरुषों में से कोई भारतीय राष्ट्रिक है या था और जो वर्तमान में केन्द्रीय सरकार द्वारा जारी किया गया भारतीय मूल के व्यक्ति होने संबंधी कार्ड (पर्सन ऑफ इंडियन ओरिजन कार्ड) धारण किए हुए है;
४५) छोटे अपराधों के अंतर्गत ऐसे अपराध आते है, जिनके लिए भारतीय दंड संहिता (१८६० का ४५) या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन अधिकतम दंड तीन साल के कारावास का है;
४६) सुरक्षित स्थान से ऐसा कोई स्थान या ऐसी संस्था, जो पुलिस हवालात या जेल नहीं है, अभिप्रेत है, जिसकी स्थापना पृथक रुप से की गई है या जो, यथास्थिति, किसी संप्रेक्षण गृह या किसी विशेष गृह से जुडी हुई है, ८.(जो विधि का उल्लंघन करने वाले अभिकथित बालक या उल्लंघन करते पाए गए ऐसे बालकों को, बोर्ड या बालक न्यायालय, दोनों, के आदेश से जांच के दौरान या आदेश में यथाविनिर्दिष्ट अवधि और प्रयोजन के लिए दोषी पाए जाने पश्चात् सतत् पुनर्वास के दौरान अपनाती है और उनकी देखरेख करती है;)
४७) विहित से इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है;
४८) परिवीक्षा अधिकारी से राज्य सरकार द्वारा अपराधी परिवीक्षा अधिनियम, १९५८ (१९५८ का २०) के अधीन परिवीक्षा अधिकारी के रुप में नियुक्त किया गया अधिकारी या राज्य सरकार द्वारा जिला बालक संरक्षक एकक के अधीन नियुक्त किया गया विधि-सह-परिवीक्षा अधिकारी अभिप्रेत है;
४९) भावी दत्तक माता-पिता से धारा ५७ के उपबंधों के अनुसार बालक के दत्तक के लिए पात्र व्यक्ति अभिप्रेत है या है;
५०) लोक स्थान का वही अर्थ होगा, जो अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम, १९५६ में है;
५१) रजिस्ट्रीकृत से राज्य सरकार के प्रबंधनाधीन बालक देखरेख संस्थाओं या अभिकरणों या सुविधा तंत्रों या किसी स्वैच्छिक या गैर-सरकारी संगठन के संदर्भ में बालकों को अल्पकालिक या दीर्घकालिक आधार पर आवासीय देखरेख उपलब्ध कराने के लिए संप्रेक्षण गृह, विशेष गृह, सुरक्षित स्थान, बाल गृह, खुला आश्रय या विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण या कोई ऐसी अन्य संस्था, जो किसी विशिष्ट आवश्यकता की अनुक्रिया में सामने आए, या धारा ४१ के अधीन प्राधिकृत और रजिस्ट्रीकृत अभिकरण या सुविधा तंत्र अभिप्रेत है;
५२) नातेदार से, इस अधिनियम के अधीन दत्तक के प्रयोजन के लिए किसी बालक के संबंध में, चाचा या चाची अथवा मामा या मामी अथवा पितामह-पितामही या मातामह-मातामही अभिप्रेत है;
५३) राज्य अभिकरण से राज्य सरकार द्वारा धारा ६७ के अधीन दत्तकग्रहण और संबंधित मामलों के संबंध में कार्यवाही करने के लिए स्थापित राज्य दत्तकग्रहण स्रोत अभिकरण अभिप्रेत है;
९.(५४) घोर अपराध के अंतर्गत ऐसे अपराध आते है जिनके लिए भारतीय दंड संहिता या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन,-
क) तीन वर्ष से अधिक और सात वर्ष से अनधिक की अवधि के न्यूनतम कारावास के दंड का उपबंध है; या
ख) सात वर्ष से अधिक के अधिकतम कारावास का उपबंध है किंतु कोई न्यूनतम कारावास या सात वर्ष से कम के न्यूनतम कारावास का उपबंध नहीं है;)
५५) विशेष किशोर पुलिस एकक से, यथास्थिति, किसी जिले या नगर के पुलिस बल का एकक, बालकों से संबंधित और धारा १०७ के अधीन बालकों को संभालने के लिए उस रुप में अभिहित कोई अन्य पुलिस एकक, जैसे रेल पुलिस अभिप्रेत है;
५६) विशेष गृह से किसी राज्य सरकार द्वारा या किसी स्वैच्छिक या गैर-सरकारी संगठन द्वारा विधि का उल्लंघन करने वाले ऐसे बालकों को, जिनके बारे में जांच के माध्यम से यह पाया जाता है कि उन्होंने अपराध कारित किया है और जिन्हें बोर्ड के आदेश से ऐसी संस्था में भेजा जाता है, आवासन और पुनर्वासन संबंधी सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए स्थापित और धारा ४८ के अधीन रजिस्ट्रीकृत कोई संस्था अभिप्रेत है;
५७) विशिष्ट दत्तकग्रहण अभिकरण से ऐसे अनाथ, परित्यक्त और अभ्यर्पित बालकों के, जिन्हें दत्तकग्रहण के प्रयोजन के लिए समिति के आदेश द्वारा वहां रखा गया है, आवासन के लिए राज्य सरकार द्वारा या किसी स्वैच्छिक या गैर-सरकारी संगठन द्वारा स्थापित और धारा ६५ के अधीन मान्यताप्राप्त कोई संस्था अभिप्रेत है;
५८) प्रवर्तकता से कुटुंबो के लिए, बालक की चिकित्सीय, शैक्षणिक और विकास संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वित्तीय या अन्यथा अनुपूरक सहायता का उपबंध अभिप्रेत है;
५९) राज्य सरकार से, किसी संघ राज्यक्षेत्र के संबंध में, संविधान के अनुच्छेद २३९ के अधीन राष्ट्रपती द्वारा नियुक्त उस संघ राज्यक्षेत्र का प्रशासक अभिप्रेत है;
६०) अभ्यर्पित बालक से ऐसा बालक अभिप्रेत है, जिसका माता-पिता अथवा संरक्षक द्वारा, ऐसे शारीरिक, भावनात्मक और सामाजिक कारकों के कारण, जो उनके नियंत्रण से परे है, समिति को त्यजन कर दिया गया है और समिति द्वारा उस रुप में ऐसा घोषित किया गया है;
६१) उन सभी शब्दों और पदों के, जो इस अधिनियम में प्रयुक्त है, किंतु परिभाषित नहीं है और अन्य अधिनियमों में परिभाषित है, वही अर्थ होंगे, जो उन अधिनियमों में क्रमश: उनके है ।
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१. २०२१ के अधिनियम सं० २३ की धारा २ द्वारा खंड (४) का लोप किया गया ।
२. २०२१ के अधिनियम सं० २३ की धारा २ द्वारा अन्त:स्थापित ।
३. २०२१ के अधिनियम सं० २३ की धारा २ द्वारा उपखंड (छ:) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
४. २०२१ के अधिनियम सं० २३ की धारा २ द्वारा सम्मिलित किए जाने की संभावना है शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
५. २०२१ के अधिनियम सं० २३ की धारा २ द्वारा बाल गृह शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
६. २०२१ के अधिनियम सं० २३ की धारा २ द्वारा करने का केन्द्र बिंदु हो शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
७. २०२१ के अधिनियम सं० २३ की धारा २ द्वारा खंड (२६क) अन्त:स्थापित ।
८. २०२१ के अधिनियम सं० २३ की धारा २ द्वारा कतिपय शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
९. २०२१ के अधिनियम सं० २३ की धारा २ द्वारा खंड (५४) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।

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