Site icon Ajinkya Innovations

SCST Act 1989 धारा १७ : विधि और व्यसस्था तंत्र द्वारा निवारक कार्रवाई ।

अनुसूचित जाति और जनजाति अधिनियम १९८९
धारा १७ :
विधि और व्यसस्था तंत्र द्वारा निवारक कार्रवाई ।
१) यदि जिला, मजिस्ट्रेट या उपखंड मजिस्ट्रेट या किसी अन्य कार्यपालक मजिस्ट्रेय या किसी पुलिस अधिकारी को, जो पुलिस उप-अधीक्षक की पंक्ति से नीचे का न हा, इत्तिला प्राप्त होने पर और ऐसी जांच करने के पश्चात् जो वह आवश्यक समझे, यह विश्वास करने का कारण है कि किसी ऐसे व्यक्ति या ऐसे व्यक्तियों के समूह द्वारा, जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के नहीं है और जो उसकी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर किसी स्थान पर निवास करते है या बार-बार आते-जाते है, इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध करने की संभावना है या उन्होंने अपराध करने की धमकी दी है और उसकी यह राय है कि कार्यवाही करने के लिए पर्याप्त आधार है तो वह उस क्षेत्र को अत्याचार ग्रस्त क्षेत्र घोषित कर सकेगा तथा शांति और सदाचार बनाए रखने तथा लोक व्यसस्था और प्रशांति बनाए रखने के लिए आवश्यक कार्रवाई कर सकेगा और निवारक कार्रवाई कर सकेगा ।
२) संहिता के अध्याय ८, अध्याय १० और अध्याय ११ के उपबंध, जहां तक हो सके, उपधारा (१) के प्रयोजनों के लिए लागू होंगे ।
३) राज्य सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, एक या अधिक स्कीमें वह रीति विनिर्दिेट करते हुए बना सकेगा जिससे उपधारा (१) में निर्दिष्ट अधिकारी अत्याचारों के निवारण के लिए तथा अनुसूचित जाति आर अनुसूचित जनजाति के सदस्यों में सुरक्षा की भावना पुन: लाने के लिए स्कीम या स्कीमों में विनिर्दिष्ट समुचित कार्रवाई करेंगे ।

Exit mobile version