अनुसूचित जाति और जनजाति अधिनियम १९८९
धारा ८ :
अपराधों के बारे में उपधारणा ।
इस अध्याय के अधीन किसी अपराध के लिए अभियोजन में, यदि यह साबित हो जाता है कि-
क) अभियुक्त ने इस अध्याय के अधीन अपराध करने के १.(अभियुक्त व्यक्ति द्वारा या युक्तियुक्त रुप से संदेहास्पद व्यक्ति द्वारा किए गए अपराधों के संबंध में कोई वित्तीय सहायता की है) तो विशेष न्यायालय , जब तक कि तत्प्रतिकूल साबित न किया जाए, यह उपधारणा करेगा कि ऐसे व्यक्ति ने उस अपराध का दुष्प्रेरण किया है;
ख) व्यक्तियों के किसी समुह ने इस अध्याय के अधीन अपराध किया है, और यदि यह साबित हो जाता है कि किया गया अपराध भूमि या किसी अन्य विषय के बारे में किसी विद्यमान विवाद का फल है तो यह उपधारणा की जाएगी कि यह अपराध सामान्य आशय या सामान्य उद्देश्य को अग्रसर करने के लिए किया गया था ।
२.(ग) अभियुक्त, पीडित या उसके कुटुंब का व्यक्तिगत ज्ञान रखता था, न्यायालय यह उपधारणा करेगा कि जब तक अन्यथा साबित न हो, अभियुक्त को पीडित की जाति या जनजातीय पहचान का ज्ञान था ।)
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१.२०१६ के अधिनियम संख्या १ की धारा ६ द्वारा(अभियुक्त व्यक्ति की, या युक्तियुक्त रुप से संदेहास्पद व्यक्ति की कोई वित्तीय सहायता की है) शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित । (२६-१-२०१६ से प्रभावी)
२.२०१६ के अधिनियम संख्या १ की धारा ६ द्वारा खंड (ग) जोडा गया ।(२६-१-२०१६ से प्रभावी)।