अनुसूचित जाति और जनजाति अधिनियम १९८९
धारा ५ :
पश्चातवर्ती दोषसिद्धि के लिए वर्धित दंड ।
कोई व्यक्ति, जो इस अध्याय के अधीन किसी अपराध के लिए पहले ही दोषसिद्ध हो चुका है, दूसरे अपराध या उसके पश्चातवर्ती किसी अपराध के लिए दोषसिद्ध किया जाता है, वह कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष से कम की नहीं होगी किंतु जो उस अपराध के लिए उपबंधित दंड तक हो सकेगी, दंडनीय होगा ।