अनुसूचित जाति और जनजाति अधिनियम १९८९
धारा ४ :
१.(कर्तव्य उपेक्षा के लिए दंड ।
१) कोई भी लोक सेवक, जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं है, इस अधिनियम और उसके अधीन बनाए गए नियमों के अधीन उसके द्वारा पालन किए जाने के लिए अपेक्षित अपने कर्तव्यों की जानबूझकर अपेक्षा करेगा, वह कारावास से, जिसकी अवधि छह मास से कम की नहीं होगी, किन्तु जो एक वर्ष तक की हो सकेगी, दंडनीय होगा ।
२) उपधारा (१) में निर्दिष्ट लोक सेवक के कर्तव्यों में निम्नलिखित सम्मिलित होगा,-
(a) क) पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी द्वारा सूचनाकर्ता के हस्ताक्षर लेने से पहले मौखिक रुप से दी गई सूचना को, सूचनाकर्ता को पढकर सुनाना और उसको लेखबद्ध करना;
(b) ख) इस अधिनियम और अन्य सुसंगत उपबंधो के अधीन शिकायत या प्रथम इत्तिला रिपोर्ट को रजिस्टर करना और अधिनियम की उपयुक्त धाराओं के अधीन उसको रजिस्टर करना;
(c) ग) इस प्रकार अभिलिखित की गई सूचना की एक प्रति सूचनाकर्ता को तुरंत प्रदान करना;
(d) घ) पीडितों या साक्षियों के कथन को अभिलिखित करना;
(e) ड) अन्वेषण करना और विशेष न्यायालय या अनन्य विशेष न्यायालय में साठ दिन की अवधि के भीतर आरोपपत्र फाइल करना तथा विलंब, यदि कोई हो लिखित में स्पष्ट करना;
(f) च) किसी दस्तावेज या इलेक्ट्रानिक अभिलेख को सही रुप से तैयार, विरचित करना तथा उसका अनुवाद करना;
(g) छ) इस अधिनियम या उसके अधीन बनाए गए नियमों में विनिर्दिष्ट किसी अन्य कर्तव्य का पालन करना :
परन्तु लोक सेवक के विरुद्ध इस संबंध में आरोप, प्रशासनिक जांच की सिफारिश पर अभिलिखित किए जाएंगे ।
३) लोक सेवक द्वारा उपधारा (२) में निर्दिष्ट कर्तव्य की अवहेलना के संबंध कें संज्ञान विशेष न्यायालय या अनन्य विशेष न्यायालय द्वारा लिया जाएगा और लोक सेवक के विरुद्ध दांडिक कार्रवाइयों के लिए निदेश दिया जाएगा ।)
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१.२०१६ के अधिनियम संख्या १ की धारा ५ द्वारा धारा (४) के स्थान पर प्रतिस्थापित । (२६-१-२०१६ से प्रभावी)।