SCST Act 1989 धारा १५-क : पीडित और साक्षी के अधिकार ।

अनुसूचित जाति और जनजाति अधिनियम १९८९
१.(अध्याय ४-क :
पीडित और साक्षी के अधिकार :
धारा १५-क :
पीडित और साक्षी के अधिकार ।
१) राज्य का, किसी प्रकार के अभित्रास, प्रपीडन या उत्प्रेरणा या qहसा या हिंसा की धमकियों के विरुद्ध पीडितों, उसके आश्रितों और साक्षियों के संरक्षण के लिए व्यवस्था करना, कर्तव्य और उत्तरदायित्व होगा ।
२) पीडित से निष्पक्षता, सम्मान और गरिमा के साथ तथा किसी ऐसी विशेष आवश्यकता के साथ, जो पीडित की आयु या लिंग या शैक्षणिक अलाभ या गरीबी के कारण उत्पन्न होती है, व्यवहार किया जाएगा ।
३) किसी पीडित या उसके आश्रित को, किसी न्यायालय की कार्यवाही की युक्तियुक्त, यथार्थ और समय से सूचना का अधिकार होगा, जिसमें जमानत प्रक्रिया सम्मिलित है और विशेष लोक अभियोजक या राज्य सरकार पीडित को इस अधिनियम के अधीन किन्हीं कार्यवाहियों के बारे में सूचित करेगी ।
४) किसी पीडित या उसके आश्रित को, यथास्थिति, विशेष न्यायालय या अनन्य विशेष न्यायालय को, किन्हीं दस्तावजों या सारवान साक्षियों को प्रस्तुत करने के लिए पक्षकारों को समन करने या उपस्थित व्यक्तियों की परीक्षा करने के लिए आवेदन करने का अधिकार होगा ।
५) कोई पीडित या उसका आश्रित, इस अधिनियम के अधीन किसी कार्यवाही में अभियुक्त की जमानत, उन्मोचन, निर्मुक्ति, परिवीक्षा, सिद्धदोष या दंडादिष्ट या सिद्धदोष, दोषमुक्त या दंडदिष्ट पर या किसी संबद्ध कार्यवाहियों या बहसों और सिद्धदोष करने के संबंध में कोई कार्यवाहियों या बहसें और लिखित तर्क फाइल करने के संबंध में किन्ही कार्यवाहियों में सुने जाने का हकदार होगा ।
६) दंड प्रक्रिया संहिता १९७३ (१९७४ का २) में किसी बात के होते हुए भी, इस अधिनियम के अधीन किसी मामले का विचारण करने वाला विशेष न्यायालय या अनन्य विशेष न्यायालय, पीडित, उसके आश्रित, सूचनाकर्ता या साक्षियों को निम्नलिखित प्रदान करेगा –
(a) क) न्याया प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिए पूर्ण संरक्षण ;
(b) ख) अन्वेषण, जांच और विचारण के दौरान यात्रा तथा भरण-पोषण व्यय;
(c) ग) अन्वेषण, जांच और विचारण के दौरान सामाजिक-आर्थिक पुनर्वास; और
(d) घ) पुन:अवस्थान ।
७) राज्य, संबद्ध विशेष न्यायालय या अनन्य विशेष न्यायालय को किसी पीडित या उसके आश्रित, सूचनाकर्ता या साक्षियों को प्रदान किए गए संरक्षण के बारे में सूचित करेगा और ऐसा न्यायालय प्रस्थापित किए गए संरक्षण का आवधिक रुप से पुनर्विलोकन करेगा तथा समुचित आदेश पारित करेगा ।
८) उपधारा (६) के उपबंधो की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, संबद्ध विशेष न्यायालय या अनन्य विशेष न्यायालय उसके समक्ष किन्ही कार्यवाहियों में किसी पीडित या उसके आश्रित, सूचनाकर्ता या साक्ष द्वारा या ऐसे पीडित, सूचनाकर्ता या साक्षी के संबंध में विशेष लोक अभियोजक द्वारा किए गए आवेदन पर या स्वेच्छा से ऐसे उपाय, जिनमें निम्नलिखित सम्मिलित है, कर सकेगा,-
(a) क) जनता की पहुंच योग्य मामले के उसके आदेशों या निर्णयों मे या किन्हीं अभिलेखों में साक्षियों के नाम और पतों को छुपाना;
(b) ख) साक्षियों की पहचान और पतों को अप्रकटन करने के लिए निदेश जारी करना;
(c) ग) पीडित, सूचनाकर्ता या साक्षी के उत्पीडन से संबंधित किसी शिकायत के संबंध में तुरंत कार्रवाई करना और उसी दिन, यदि आवश्यक हो, संरक्षण के लिए समुचित आदेश पारित करना :
परन्तु खंड (ग) के अधीन प्राप्त शिकायत में जांच या अन्वेषण ऐसे न्यायालय द्वारा मुख्य मामले से पृथक् रुप से विचारित किया जाएगा और शिकायत की प्राप्ति की तारीख से दो मास की अवधि के भीतर पूरा किया जाएगा :
परन्तु यह और कि जहां खंड (ग) के अधीन कोई शिकायत लोक सेवक के विरुद्ध है, वहा न्यायालय ऐसे लोक सेवक को, न्यायालय की अनुज्ञा के सिवाय, लंबित मामले से संबंधित या असंबंधित किसी विषय में, यथास्थिति, पीडित, सूचनाकर्ता या साक्षी के साथ हस्तक्षेप से अवरुद्ध करेगा ।
९) अन्वेषण अधिकारी और थाना अधिकारी का, पीडित, सूचनाकर्ता या साक्षियों की अभित्रास, प्रपीडन या उत्प्रेरणा या qहसा या qहसा की धमकियों के विरुद्ध शिकायत को अभिलिखित करने को कर्तव्य होगा, चाहे वह मौखिक रुप से या लिखित में दी गई हो, और प्रथम सूचना रिपोर्ट की एक फोटो प्रति उनको तुरंत नि:शुल्क दी जाएगी ।
१०) इस अधिनियम के अधीन अपराधों से संबंधित सभी कार्यवाहियां वीडियों अभिलिखित होगी ।
११) संबद्ध राज्य का, न्याय प्राप्त करने में पीडितों और साक्षियों के निम्नलिखित अधिकारों और हकों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए एक समुचित स्कीम विनिर्दिष्ट करने का कर्तव्य होगा, जिससे,-
(a) क) अभिलिखित प्रथम इत्तिला रिपोर्ट की नि:शुल्क प्रति प्रदान की जा सके;
(b) ख) अत्याचार से पीडितों या उनके आश्रितों को नकद या वस्तु में तुरंत राहत प्रदान की जा सके;
(c) ग) अत्याचार से पीडितों या उनके आश्रितों और साक्षियों को आवश्यक संरक्षण प्रदान किया जा सके;
(d) घ) मृत्यु या उपहति या संपत्ति को नुकसान के संबंध में राहत प्रदान की जा सके;
(e) ङ) पीडितों को खाद्य या जल या कपडे या आश्रय या चिकित्सीय सहायता या परिवहन सुविधा या प्रति दिन भत्तों की व्यवस्था की जा सके;
(f) च) अत्याचार से पीडितों और उनके आश्रितों को भरण-पोषण व्यय प्रदान किया जा सके;
(g) छ) शिकायत करने और प्रथम इत्तिला रिपोर्ट रजिस्टर करने के समय अत्याचार से पीडितों के अधिकारों के बारे में जानकारी प्रदान की जा सकेग;
(h) ज) अभित्रास तथा उत्पीडन के अत्याचार से पीडितों या उनके आश्रितों और साक्षीयों को संरक्षण प्रदान किया जा सके;
(i) झ) अन्वेषण और आरोपपत्र की प्रास्थिति पर अत्याचार से पीडितों या उनके आश्रितों या सहयुक्त संगठनों को जानकारी प्रदान की जा सके तथा नि:शुल्क आरोपपत्र की प्रति प्रदान की जा सके;
(j) ञ) चिकित्सीय परीक्षा के समय आवश्यक पूर्वावधानियां की जा सके;
(k) ट) राहत रकम के संबंध में अत्याचार से पीडितों या उनके आश्रितों या सहयुक्त संगठनों को जानकारी प्रदान की जा सके;
(l) ठ) अन्वेषण और विचारण की तारीख और स्थान के बारे में अग्रिम रुप से अत्याचार से पीडितों या उनके आश्रितों या सहयुक्त संगठनों को जानकारी प्रदान की जा सके;
(m) ड)अत्याचार से पीडितों या उनके आश्रितों या सहयुक्त संगठनों या व्यष्टिकों के मामले पर और विचारण की तैयारी के लिए पर्याप्त टिप्पण दिया जा सके तथा उक्त प्रयोजन के लिए विधिक सहायता प्रदान की जा सके;
(n) ढ) इस अधिनियम के अधीन कार्यवाहियों के प्रत्येक क्रम पर अत्याचार पीडितों या उनके आश्रितों या सहयुक्त संगठनों या व्यष्टिकों के अधिकारों का निष्पादन किया जा सके और अधिकारो के निष्पादन के लिए आवश्यक सहायता प्रदान की जा सके;
१२) अत्याचार से पीडितों या उनके आश्रितों का गैर-सरकारी संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं या अधिवक्ताओं से सहायता लेने का अधिकार होगा ।)
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१.२०१६ के अधिनियम संख्या १ की धारा ११ द्वारा जोडा गया ।(२६-१-२०१६ से प्रभावी)।

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