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Pwdva act 2005 धारा १९ : निवास आदेश :

घरेलू हिंसा अधिनियम २००५
धारा १९ :
निवास आदेश :
१) धारा १२ की उपधारा (१) के अधीन किसी आवेदन का निपटारा करते समय, मजिस्ट्रेट, यह समाधान होने पर कि घरेलू हिंसा हुई है तो निम्नलिखित निवास आदेश पारित कर सकेगा :-
(a)क) प्रत्यर्थी को साझी गृहस्थी से, किसी व्यक्ति के कब्जे को बेकब्जा करने से या किसी अन्य रीति में उस कब्जे में विघ्न डालने से अवरुद्ध करना, चाहे, प्रत्यर्थी, उस साझी गृहस्थी में विधिक या साधारण रुप से हित रखता है या नहीं;
(b)ख) प्रत्यर्थी को, उस साझी गृहस्थी से स्वयं को हटाने का निदेश देना;
(c)ग) प्रत्यर्थी या उसके किसी नातेदारों को साझी गृहस्थी के किसी भाग में, जिसमें व्यथित व्यक्ति निवास करता है, प्रवेश करने से अवरुद्ध करना;
(d)घ) प्रत्यर्थी को, किसी साझी गृहस्थी के अन्यसंक्रांत करने या व्ययनित करने या उसे विल्लंगमित करने से अवरुद्ध करना;
(e)ङ) प्रत्यर्थी को, मजिस्ट्रेट की इजाजत के सिवाय, साझी गृहस्थी में अपने अधिकार त्यजन से, अवरुद्ध करना; या
(f)च) प्रत्यर्थी को, व्यथित व्यक्ति के लिए उसी स्तर की आनुकल्पिक वास सुविधा जैसी वह साझी गृहस्थी में उपयोग कर रही थी या उसके लिए किराए का संदाय करने, यदि परिस्थितियां ऐसी अपेक्षा करे, सुनिश्चित करने के लिए निदेश करना :
परंतु यह कि खंड (ख) के अधीन कोई आदेश किसी व्यक्ति के, जो महिला है, विरुद्ध पारित नहीं किया जाएगा ।
२) मजिस्ट्रेट, व्यथित व्यक्ति या ऐसे व्यथित व्यक्ति की किसी संतान की सुरक्षा के लिए, संरक्षण देने या सुरक्षा की व्यवस्था करने के लिए कोई अतिरिक्त शर्त अधिरोपित कर सकेगा या कोई अन्य निदेश पारित कर सकेगा जो वह युक्तियुक्त रुप से आवश्यक समझे ।
(३) मजिस्ट्रेट घरेलू हिंसा किए जाने का निवारण करने के लिए प्रत्यर्थी से, एक बंधपत्र, प्रतिभुओं सहित या उनके बिना निष्पादित करने की अपेक्षा कर सकेगा।
(४) उपधारा (३) के अधीन कोई आदेश दंड प्रक्रिया संहिता १९७३ (१९७४ का २), के अध्याय ८ के अधीन किया गया कोई आदेश समझा जाएगा और तद्नुसार कार्रवाई की जाएगी।
(५) उपधारा (१), उपधारा (२) या उपधारा (३) के अधीन किसी आदेश को पारित करते समय न्यायालय, उस व्यथित व्यक्ति को संरक्षण देने के लिए या उसकी सहायता के लिए या आदेश के क्रियान्वयन में उसकी ओर से आवेदन करने वाले व्यक्ति की सहायता करने के लिए, निकटतम पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को निदेश देते हुए आदेश भी पारित कर सकेगा।
(६) उपधारा (१) के अधीन कोई आदेश करते समय, मजिस्ट्रेट, पक्षकारों की वित्तीय आवश्यकताओं और संसाधनों को ध्यान में रखते हुए किराए और अन्य संदायों के उन्मोचन से संबंधित बाध्यताओं को प्रत्यर्थी पर अधिरोपित कर सकेगा।
(७) मजिस्ट्रेट, उस पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को, जिसकी अधिकारिता में, संरक्षण आदेश के कार्यान्वयन में सहायता करने के लिए मजिस्ट्रेट से निवेदन किया गया है, निदेश कर सकेगा।
(८) मजिस्ट्रेट, व्यथित व्यक्ति को उसके स्त्रीधन या किसी अन्य संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति का, जिसके लिए वह हकदार है, कब्जा लौटाने के लिए प्रत्यर्थी को निदेश दे सकेगा ।

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