घरेलू हिंसा अधिनियम २००५
अध्याय २ :
घरेलू हिंसा :
धारा ३ :
घरेलू हिंसा की परिभाषा :
इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए प्रत्यर्थी का कोई कार्य, लोप या किसी कार्य का करना या आचरण, घरेलू हिंसा गठित करेगा यदि वह, –
(a)क) व्यथित व्यक्ति के स्वास्थ्य, सुरक्षा, जीवन, अंग की या चाहे उसकी मानसिक या शारीरिक भलाई की अपहानि करता है, या उसे कोई क्षति पहुंचाता है या उसे संकटापन्न करता है या उसकी ऐसा करने की प्रकृति है और जिसके अंतर्गत शारीरिक दुरुपयोग, लैंगिक दुरुपयोग, मौखिक और भावनात्मक दुरुपयोग और आर्थिक दुरुपयोग कारित करना भी है; या
(b)ख) किसी दहेज या अन्य संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति के लिए किसी विधिविरुद्ध मांग की पूर्ति के लिए उसे या उससे संबंधित किसी अन्य व्यक्ति को प्रपीडित करने की दृष्टि से व्यथित व्यक्ति का उत्पीडन करता है या उसकी अपहानि करता है या उसे क्षति पहुंचाता है या संकटापन्न करता है; या
(c)ग) खंड (क) या खंड (ख) में वर्णित किसी आचरण द्वारा व्यथित व्यक्ति या उससे संबंधित किसी व्यक्ति पर धमकी का प्रभाव रखता है; या
(d)घ) व्यथित व्यक्ति को, अन्यथा क्षति पहुंचाता है या उत्पीडन कारित करता है, चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक ।
स्पष्टीकरण १ :
इस धारा के प्रयोजनों के लिए,-
एक) शारीरिक दुरुपयोग से ऐसा कोई कार्य या आचरण अभिप्रेत है जो ऐसी प्रकृति का है, जो व्यथित व्यक्ति को शारीरिक पीडा, अपहानि या उसके जीवन, अंग या स्वास्थ्य को खतरा कारित करता है या उससे उसके स्वास्थ्य या विकास का èहास होता है और उसके अंतर्गत हमला, आपराधिक अभित्रास और आपराधिक बल भी है;
दो) लैंगिक दुरुपयोग से लैंगिक् प्रकृति का कोई आचरण अभिप्रेत है, जो महिला की गरिमा का दुरुपयोग, अपमान, तिरस्कार करता है या उसका अन्यथा अतिक्रमण करता है;
तीन) मौखिक और भावनात्मक दुरुपयोग के अन्तर्गत निम्नलिखित हैं, –
(a)क) अपमान, उपहास, तिरस्कार, गाली और विशेष रुप से संतान या नर बालक के न होने के संबंध में अपमान या उपहास; और
(b)ख) किसी ऐसे व्यक्ति को शारीरिक पीडा कारित करने की लगातार धमकियां देना, जिसमें व्यथित व्यक्ति हितबद्ध है;
चार) आर्थिक दुरुपयोग के अंतर्गत निम्नलिखित है :-
(a)क) ऐसे सभी या किन्हीं आर्थिक या वित्तीय संसाधनों, जिनके लिए व्यथित व्यक्ति किसी विधि या रुढि के अधीन हकदार है, चाहे वे किसी न्यायालय के किसी आदेश के अधीन या अन्यथा संदेय हों या जिनकी व्यथित व्यक्ति, किसी आवश्यकता के लिए, जिसके अंतर्गत व्यथित व्यक्ति और उसके बालकों, यदि कोई हों, के लिए घरेलू आवश्यकताएं भी है, अपेक्षा करता है, किन्तु जो उन तक सीमित नहीं है, स्त्रीधन, व्यथित व्यक्ति के संयुक्त रुप से या पृथक्त: स्वामित्वाधीन संपत्ति, साझी गृहस्थी और उसके रखरकाव से संबंधित भाटक या संदाय, से वंचित करना;
(b)ख) गृहस्थी की चीजबस्त का व्ययन, आस्तियों का चाहे वे जंगम हों या स्थावर, मूल्यवान वस्तुओं, शेयरों, प्रतिभूतियों, बंधपत्रों और उसके सदृश या अन्य संपत्ति का, जिसमें व्यथित व्यक्ति कोई हित रखता है या घरेलू नातेदारी के आधार पर उसके प्रयोग के लिए हकदार है या जिसकी व्यथित व्यक्ति या उसकी संतानों द्वारा युक्तियुक्त रुप से अपेक्षा की जा सकती है या उसके स्त्रीधन या व्यथित व्यक्ति द्वारा संयुक्तत: या पृथक्त: धारित किसी अन्य संपत्ति का कोई अन्य संक्रामण; और
(c)ग) ऐसे संसाधनों या युविधाओं तक, जिनका घरेलू नातेदारी के आधार पर कोई व्यथित व्यक्ति, उपयोग या उपभोग करने के लिए हकदार है, जिसके अंतर्गत साझी गृहस्थी तक पंहुच भी है, लगातार पहुंच के लिए प्रतिषेध या निर्बन्धन ।
स्पष्टीकरण २ :
यह अवधारित करने के प्रयोजन के लिए कि क्या प्रत्यर्थी का कोई कार्य, लोप या किसी कार्य का करना आचरण इस धारा के अधीन घरेलू हिंसा का गठन करता है, मामले के संपूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार किया जाएगा ।