घरेलू हिंसा अधिनियम २००५
धारा ३२ :
संज्ञान और सबूत :
(१) दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (१९७४ का २) में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी धारा ३१ की उपधारा (१) के अधीन अपराध संज्ञेय और अजमानतीय होगा।
(२) व्यथित व्यक्ति के एकमात्र परिसाध्य पर, न्यायालय यह निष्कर्ष निकाल सकेगा कि धारा ३१ की उपधारा (१) के अधीन अभियुक्त द्वारा कोई अपराध किया गया है।