Posh act 2013
धारा २६ :
अधिनियम के उपबंधों के अननुपालन के लिए शास्ति :
१) जहां कोई नियोजक,-
(a)क) धारा ४ की उपधारा (१) के अधीन एक आंतरिक समिति का गठन करने में असफल रहता है;
(b)ख) धाराओं १३, १४ और २२ के अधीन कार्रवाई करने में असफल रहता है; और
(c)ग) इस अधिनियम के अन्य उपबंधों या तद्धीन बनाए गए किन्हीं नियमों का उल्लंघन करता है या उल्लंघन करने का प्रयास करता है या उनके उल्लंघन को दुष्प्रेरित करता है,
वहां वह ऐसे जुर्माने से, जो पचास हजार रूपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा।
२) यदि कोई नियोजक पूर्व में, इस अधिनियम के अधीन दंडनीय किसी अपराध में सिद्धदोष ठहराए जाने पर, बाद में उसी अपराध को पुन: कारित करता है और उसके लिए सिद्धदोष ठहराया जाता है तो वह,-
(एक) उसी अपराध के लिए उपबंधित अधिकतम दंड के अधीन रहते हुए, पहली दोषसिद्धि पर अधिरोपणीय दंड से दुगुने दंड का दायी होगा :
परंतु यदि तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन उस अपराध के लिए, जिसके संबंध में आरोपी का अभियोजन किया जा रहा है, कोई उच्चतर दंड विहित है तो न्यायालय दंड देते समय उसका सम्यक् संज्ञान लेगा।
(दो) सरकार या स्थानीय प्राधिकारी द्वारा उसके कारबार या क्रियाकलाप को चलाने के लिए अपेक्षित, यथास्थिति, उसकी अनुज्ञप्ति के रद्द किए जाने या रजिस्टड्ढीकरण को प्रत्याहृत किए जाने या नवीकरण न किए जाने या अननुमोदन या रद्दकरण के लिए दायी होगा।