Posh act 2013
धारा ११ :
परिवाद के बारे में जांच :
१) धारा १० के उपबंधों के अधीन रहते हुए, यथास्थिति, आंतरिक समिति या स्थानीय समिति, जहाँ प्रत्यर्थी कोई कर्मचारी है, वहाँ प्रत्यर्थी को लागू सेवा नियमों के उपबंधो के अनुसरण में परिवाद के बारे में जांच करने की कार्यवाही करेगी और जहाँ ऐसे कोई नियम विद्यमान नहीं हैं तो ऐसी रीति में जो कि विहित की जाए किसी घरेलू कर्मकार की दशा में, स्थानीय समिति, यदि प्रथम दृष्ट्या मामला विद्यमान हो तो भारतीय दण्ड संहिता (१८६० का ४५) की धारा ५०९ और उक्त संहिता के यथा प्रयोज्य अन्य सुसंगत उपबंधों के अधीन मामला पंजीबद्ध करने के लिये सात दिनों की कालावधि के भीतर पुलिस को परिवाद अग्रेषित करेगी :
परंतु जहां व्यथित महिला, यथास्थिति, आंतरिक समिति या स्थानीय समिति को यह सूचित करती है कि धारा १० की उपधारा (२) के अधीन किए गए समाधान के किसी निबंधन और शर्त का प्रत्यर्थी द्वारा अनुपालन नहीं किया गया है तो आंतरिक समिति या स्थानीय समिति परिवाद के बारे में जांच करने के लिए कार्यवाही करेगी या यथास्थिति, पुलिस को परिवाद अग्रेषित करेगी :
परंतु यह और कि जहाँ दोनों पक्षकार कर्मचारी हैं तो पक्षकरों को, जांच के दौरान, सुनवाई का अवसर दिया जाएगा और निष्कर्षों की एक प्रति दोनों पक्षकारों को, समिति के समक्ष निष्कर्षों के विरूद्ध अभ्यावेदन देने हेतु समर्थ बनाने के लिए, उपलब्ध करार्स जाएगी।
२) भारतीय दण्ड संहिता (१८६० का ४५) की धारा ५०९ में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, न्यायालय, जबकि प्रत्यर्थी अपराध के लिये दोषसिद्ध किया गया है, धारा १५ के उपबंधों को ध्यान में रखते हुए, प्रत्यर्थी द्वारा व्यथित महिला को ऐसी राशि के संदाय का आदेश दे सकेगा जो वह उचित समझे।
३) उपधारा (१) के अधीन जांच करने के प्रयोजन के लिए, यथास्थिति, आंतरिक समिति या स्थानीय समिति को वही शक्तियां होगी, जो निम्नलिखित मामलों के संबंध में किसी वाद का विचारण करते समय सिविल प्रक्रिया संहिता, १९०८ (१९०८ का ५) के अधीन किसी सिविल न्यायालय में निहित हैं :-
(a)क) किसी व्यक्ति को समन करना और हाजिर कराना तथा शपथ पर उसकी परीक्षा करना;
(b)ख) किन्हीं दस्तावेजों के प्रकटीकरण और पेश किए जाने की अपेक्षा करना;
(c)ग) ऐसा कोई अन्य विषय, विहित किया जाए।
४) उपधारा (१) के अधीन जांच नब्बे दिन की अवधि के भीतर पूरी की जाएगी।