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Pocso act 2012 धारा २८ : विशेष न्यायालयों को अभिहित किया जाना :

लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम २०१२
अध्याय ७ :
विशेष न्यायालय :
धारा २८ :
विशेष न्यायालयों को अभिहित किया जाना। :
१) त्वरित विचारण उपलब्ध कराने के प्रयोजनों के लिए राज्य सरकार, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा प्रत्येक जिला के लिए इस अधिनियम के अधीन अपराधों का विचारण करने के लिए किसी सेशन न्यायालय को एक विशेष न्यायालय होने के लिए, अभिहित करेगी:
परन्तु यदि किसी सेशन न्यायालय को, बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, २००५ या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन उन्हीं प्रयोजनों के लिए अभिहित किसी विशेष न्यायालय को, बालक न्यायालय के रूप में अधिसूचित कर दिया है, तो ऐसा न्यायालय इस धारा के अधीन विशेष न्यायालय समझा जाएगा।
२) इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का विचारण करते समय कोई विशेष न्यायालय किसी ऐसे अपराध का (उपधारा (१) में निर्दिष्ट किसी अपराध से भिन्न) विचारण भी करेगा जिसके साथ अभियुक्त को दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३ के अधीन उसी विचारण में आरोपित किया जा सकेगा। (१९७४ का २)
३) इस अधिनियम के अधीन गठित विशेष न्यायालय को, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, २००० में किसी बात के होते हुए भी, उस अधिनियम की धारा ६७ ख के अधीन अपराधों का, जहां तक वे किसी कृत्य या व्यवहार या रीति में बालकों को चित्रित करने वाली लैंगिक प्रकटन सामग्री के प्रकाशन या पारेषण से संबंधित है, या बालकों का आन-लाईन दुरूपयोग सुकर बनाते है, विचारण करने की अधिकारिता होगी। (२००० का २१)।

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