लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम २०१२
अध्याय ८ :
विशेष न्यायालयों की प्रक्रिया और शक्तियां तथा साक्ष्य का अभिलेखन :
धारा ३३ :
विशेष न्यायालयों की प्रक्रिया और शक्तियां।
१) कोई विशेष न्यायालय, अभियुक्त को विचारण के लिए उसको सुपुर्द किए बिना किसी अपराध का संज्ञान ऐसे अपराध का गठन करने वाले तथ्यों का परिवाद प्राप्त होने पर ऐसे तथ्यों की पुलिस रिपोर्ट पर, ले सकेगा।
२) यथास्थिति, विशेष लोक अभियोजक या अभियुक्त के लिए उपसंजात होने वाला काउंसेल बालक की मुख्य परीक्षा, प्रतिपरीक्षा, या पुन:परीक्षा अभिलिखित करते समय बालक से पूछे जाने वाले प्रश्नों को, विशेष न्यायालय को संसूचित करेगा जो क्रम से उन प्रश्नों को बालक के समक्ष रखेगा।
३) विशेष न्यायालय, यदि वह आवश्यक समझे, विचारण के दौरन बालक के लिए बाबर-बार विराम अनुज्ञात कर सकेगा।
४) विशेष न्यायालय, बालक के परिवार के किसी सदस्य, संरक्षक, मित्र या नातेदार की, जिसमें बालक का भरोसा और विश्वास है, न्यायालय में उपस्थिति अनुज्ञात करके बालक के लिए मित्रतापूर्ण वातावरण सृजित करेगा।
५) विशेष न्यायालय यह सुनिश्चित करेगा कि बालक को न्यायालय में साक्ष्य देने के लिए बार-बार नहीं बुलाया जाए।
६) विशेष न्यायालय, विचारण के दौरान आक्रामक या बालक के चरित्र हनन संबंधी प्रश्न पूछने के लिए अनुज्ञान नहीं करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि सभी समय बालक की गरिमा बनाए रखी जाए।
७) विशेष न्यायालय वह सुनिश्चित करेगा कि अन्वेषण या विचारण के दौरान किसी भी समय बालक की पहचान प्रकट नहीं की जाए:
परंतु ऐसे कारणों से जो अभिलिखित किए जाएं, विशेष न्यायालय ऐसे प्रकटन की अनुज्ञा दे सकेगा, यदि उसकी राय में ऐसा प्रकटन बालक के हित में है।
स्पष्टीकरण
इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए, बालक की पहचान में, बालक के कुटुंब, विद्यालय, नातेदार, प‹डोसी की पहचान या कोई अन्य सूचना जिसके द्वारा बालक की पहचान का पता चल सके सम्मिलित होंगे।
८) समुचित मामलों में विशेष न्यायालय, दंड के अतिरिक्त, बालक को कारित किसी शारीरिक या मानसिक आघात के लिए या ऐसे बालक के तुरंत पुनर्वास के लिए ुसको ऐसे प्रतिकर के संदाय का निदेश दे सकेगा जो विहित किया जाए।
९) इस अधिनियम के उपबंधो के अधीन रहते हुए विशेष न्यायालय को इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध के विचारण के प्रयोजन के लिए सेशन न्यायालय की सभी शक्तियां होंगी और ऐसे अपराध का विचारण ऐसे करेगा, मानो वह सेशन न्यायालय हो, और यथाशक्य सेशन न्यायालय के समक्ष विचारण के लिए दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३ में विनिर्दिष्ट प्रक्रिया का अनुसरण करेगा। (१९७४ का २)।