मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम १९९३
अध्याय २ :
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग :
धारा ३ :
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन :
(१) केन्द्रीय सरकार, एक निकाय का, जो राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के नाम से ज्ञात होगा, इस अधिनियम के अधीन उसे प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करने और उसे सौंपे गए कृत्यों का पालन करने के लिए, गठन करेगी।
(२) आयोग निम्नलिखित से मिलकर बनेगा, अर्थात :-
(a)(क) एक अध्यक्ष, जो उच्चतम न्यायालय का भारत का २.(मुख्य न्यायमूर्ति या कोई न्यायाधीश) रहा है;
(b)(ख) एक सदस्य, जो उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश है या रहा है;
(c)(ग) एक सदस्य, जो किसी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायमूर्ति है या रहा है;
(d)(घ) २.(तीन सदस्य, जिनमें से कम से कम एक सदस्य महिला होगी), जो ऐसे व्यक्तियों में से नियुक्त किए जाएंगे जिन्हें मानव अधिकारों से संबंधित विषयों का ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव है।
(३) राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, १.(२.(राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग), राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग) और २.(राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष तथा दिव्यांगजनों के लिए मुख्य आयुक्त) धारा १२ के खंड (ख) से खंड (ञ) में विनिर्दिष्ट कृत्यों के निर्वहन के लिए आयोग के सदस्य समझे जाएंगे।
(४) एक महासचिव होगा, जो आयोग का मुख्य कार्यपालक अधिकारी होगा और वह आयोग की २.(अध्यक्ष के नियंत्रण के अधीन रहते हए, सभी प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियों (सिवाय न्यायिक कृत्यों और धारा ४०ख के अधीन विनियम बनाने की शक्ति के) का प्रयोग करेगा।)
(५) आयोग का मुख्यालय दिल्ली में होगा और आयोग, केन्द्रीय सरकार के पूर्व अनुमोदन से, भारत में अन्य स्थानों पर कार्यालय स्थापित कर सकेगा।
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१. २००६ के अधिनियम सं० ४३ की धारा ३ द्वारा प्रतिस्थापित ।
२. २०१९ के अधिनियम सं० १९ की धारा ३ द्वारा प्रतिस्थापित ।