मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम १९९३
अध्याय ३ :
आयोग के कृत्य और शक्तियां :
धारा १२ :
आयोग के कृत्य :
आयोग निम्नलिखित सभी या किन्हीं कृत्यों का पालन करेगा, अर्थात:-
(a)(क) स्वप्रेरणा से या किसी पीडित व्यक्ति द्वारा या उसकी ओर के किसी व्यक्ति द्वारा १.(या उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय के निदेश पर) उसको प्रस्तुत की गई अर्जी पर,-
(एक) मानव अधिकारों का किसी लोक सेवक द्वारा अतिक्रमण या दुष्प्रेरण किए जाने की, या
(दो) ऐसे अतिक्रमण के निवारण में किसी लोक सेवक द्वारा उपेक्षा की,
शिकायत के बारे में जांच करना;
(b)(ख) किसी न्यायालय के समक्ष लंबित किसी कार्यवाही में जिसमें मानव अधिकारों के अतिक्रमण का कोई अभिकथन अंतर्वलित है, उस न्यायालय के अनुमोदन से मध्यक्षेप करना;
(c)२.(ग) तत्समय प्रवृत्त किसी विधि में किसी बात के होते हुए भी, राज्य सरकार के नियंत्रण के अधीन किसी जेल या किसी अन्य संस्था का, जहां व्यक्ति उपचार, सुधार या संरक्षण के प्रयोजनों के लिए निरुद्ध या दाखिल किए जाते हैं, वहां के निवासियों के जीवन की परिस्थितियों का अध्ययन करने के लिए, निरीक्षण करना और उन पर सरकार को सिफारिश करना;)
(d)(घ) संविधान या मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि द्वारा या उसके अधीन उपबंधित रक्षोपायों का पुनर्विलोकन करना और उनके प्रभावपूर्ण कार्यान्वयन के लिए उपायों की सिफारिश करना;
(e)(ङ) ऐसी बातों का, जिनके अंतर्गत आतंकवाद के कार्य हैं, और जो मानव अधिकारों के उपभोग में विघ्न डालती हैं, पुनर्विलोकन करना और समुचित उपचारी उपायों की सिफारिश करना;
(f)(च) मानव अधिकारों से संबंधित संधियों और अन्य अन्तरराष्ट्रीय लिखतों का अध्ययन करना और उनके प्रभावपूर्ण कार्यान्वयन के लिए सिफारिशें करना;
(g)(छ) मानव अधिकारों के क्षेत्र में अनुसंधान करना और उसका संवर्धन करना;
(h)(ज) समाज के विभिन्न वर्गों के बीच मानव अधिकारों संबंधी जानकारी का प्रसार करना और प्रकाशनों, संचार, विचार, माध्यमों, गोष्ठियों और अन्य उपलब्ध साधनों के माध्यम से इन अधिकारों के संरक्षण के लिए उपलब्ध रक्षोपायों के प्रति जागरूकता का संवर्धन करना;
(i)(झ) मानव अधिकारों के क्षेत्र में कार्यरत गैर-सरकारी संगठनों और संस्थाओं के प्रयासों को उत्साहित करना;
(j)(ज) ऐसे अन्य कृत्य करना, जो मानव अधिकारों के संवर्धन के लिए आवश्यक समझे जाएं।
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१.२००६ के अधिनियम सं ० ४३ की धारा ९ द्वारा अंत:स्थापित ।
२.२००६ के अधिनियम सं० ४३ की धारा ९ द्वारा प्रतिस्थापित ।