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Pcpndt act धारा २३ : अपराध और शास्तियां :

गर्भधारण पूर्व और प्रसवपूर्व निदान-तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम १९९४
धारा २३ :
अपराध और शास्तियां :
(१) कोई चिकित्सा आनुवंशिकी विज्ञान, स्त्री रोग विशेषज्ञ, रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी या कोई व्यक्ति, जो आनुवंशिकी सलाह केन्द्र, आनुवंशिकी प्रयोगशाला या आनुवंशिकी क्लिनिक का स्वामी है या ऐसे केन्द्र, प्रयोगशाला या क्लिनिक में नियोजित है तथा अपनी वृत्तिक या तकनीकी सेवाएं, ऐसे केन्द्र, प्रयोगशाला या क्लिनिक को चाहे वे अवैतनिक आधार पर हों या अन्यथा, प्रदान करता है, और जो इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों के किन्हीं उपबंधों का उल्लंघन करेगा, कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से, जो दस हजार रुपए तक का हो सकेगा और किसी पश्चात्वर्ती दोषसिद्धि पर, कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से, जो पचास हजार रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा।
१.(२) रजिस्टीकृत चिकित्सा व्यवसायी का नाम समुचित प्राधिकारी द्वारा संबंधित राज्य आयुर्विज्ञान परिषद् को आवश्यक कार्रवाई करने के लिए, जिसके अंतर्गत रजिस्ट्रीकरण का निलंबन, यदि न्यायालय द्वारा आरोप विरचित किए जाते हैं, और मामले के निपटाए जाने तक, और सिद्धदोष ठहराए जाने पर उसके नाम को प्रथम अपराध के लिए पांच वर्ष की अवधि के लिए और पश्चात्वर्ती अपराध के लिए स्थायी रूप से परिषद् के रजिस्टर से हटाया जाना भी है, रिपोर्ट किया जाएगा।
(३) कोई व्यक्ति, जो किसी आनुवंशिकी सलाह केंद्र, आनुवंशिकी प्रयोगशाला या आनुवंशिकी क्लिनिक या अल्टड्ढासाउंड क्लिनिक या इमेजिंग क्लिनिक की या किसी चिकित्सा आनुवंशिकी विज्ञानी, स्त्री रोग विशेषज्ञ, सोनोलोजिस्ट, इमेजिंग विशेषज्ञ या रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी या किसी अन्य व्यक्ति की, धारा ४ की उपधारा (२) में विनिर्दिष्ट प्रयोजनों से भिन्न प्रयोजनों के लिए किसी गर्भवती स्त्री पर लिंग चयन के लिए या प्रसवपूर्व निदान तकनीक का उपयोग करने के लिए सहायता लेगा, प्रथम अपराध के लिए कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से, जो पचास हजार रुपए तक का हो सकेगा और किसी पश्चात्वर्ती अपराध के लिए, कारावास से जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से जो एक लाख रुपए तक का हो सकेगा दंडनीय होगा।
(४) शंकाओं को दूर करने के लिए, यह उपबंध किया जाता है कि उपधारा (३) के उपबंध ऐसी स्त्री को लागू नहीं होंगे जिसे ऐसी निदान तकनीक कराने या ऐसा लिंग चयन करने के लिए विवश किया गया हो ।)
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१. २००३ के अधिनियम सं० १४ की धारा १८ द्वारा प्रतिस्थापित।

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