Site icon Ajinkya Innovations

Pcpndt act धारा १७ : समुचित प्राधिकारी और सलाहकार समिति :

गर्भधारण पूर्व और प्रसवपूर्व निदान-तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम १९९४
अध्याय ५ :
समुचित प्राधिकारी और सलाहकार समिति :
धारा १७ :
समुचित प्राधिकारी और सलाहकार समिति :
(१) केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, एक या अधिक समुचित प्राधिकारियों को, प्रत्येक संघ राज्यक्षेत्र के लिए नियुक्त करेगी।
(२) राज्य सरकार, इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, एक या अधिक समुचित प्राधिकारियों को, संपूर्ण राज्य या उसके भाग के लिए प्रसवपूर्व लिंग अवधारण की समस्या की व्यापकता को, जिससे स्त्रीलिंगी, भूू्रणवध होता है, ध्यान में रखते हुए, नियुक्त करेगी।
(३) उपधारा (१) या उपधारा (२) के अधीन समुचित प्राधिकारियों के रूप में नियुक्त अधिकारी, –
(a)१.(क) जब संपूर्ण राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के लिए नियुक्त किए जाएं, तब वे निम्नलिखित तीन सदस्यों से मिलकर बनेंगे :-
(एक) स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के संयुक्त निदेशक की या उससे ऊपर की पंक्ति का एक अधिकारी या अध्यक्ष;
(दो) महिला संगठन का प्रतिनिधित्व करने वाली एक विख्यात महिला ; और
(तीन) संबंधित राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के विधि विभाग का एक अधिकारी:
परन्तु यह संबंधित राज्य या संघ राज्यक्षेत्र का कर्तव्य होगा कि वह प्रसवपूर्व निदान-तकनीक (विनियमन और दुरुपयोग निवारण) संशोधन अधिनियम, २००२ के प्रवृत्त होने के तीन मास के भीतर राज्य या संघ राज्यक्षेत्र स्तरीय बहुसदस्यीय समुचित प्राधिकरण का गठन करे :
परन्तु यह और कि उसमें होने वाली किसी रिक्ति को, उसके होने के तीन मास के भीतर भरा जाएगा;)
(b)(ख) जब राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के किसी भाग के लिए नियुक्त किए जाएं ऐसी अन्य पंक्ति के होंगे, जो, यथास्थिति, राज्य सरकार या केन्द्रीय सरकार उचित समझे।
(४) समुचित प्राधिकारी के निम्नलिखित कृत्य होंगे, अर्थात :
(a)(क) आनुवंशिकी सलाह केन्द्र, आनुवंशिकी प्रयोगशाला या आनुवंशिकी क्लिनिक के लिए रजिस्ट्रीकरण मंजूर, निलंबित या रद्द करना;
(b)(ख) आनुवंशिकी सलाह केन्द्र, आनुवंशिकी प्रयोगशाला और आनुवंशिकी क्लिनिक के लिए विहित मानक लागू करना;
(c)(ग) इस अधिनियम और उसके अधीन बनाए गए नियमों के उपबंधों के भंग से संबंधित परिवादों का अन्वेषण करना और तत्काल कार्रवाई करना;
(d)(घ) रजिस्ट्रीकरण के आवेदनों पर तथा रजिस्ट्रीकरण के निलंबन या रद्दकरण की शिकायतों पर उपधारा (५) के अधीन गठित सलाहकार समिति की सलाह लेना और उस पर विचार करना;
(e)१.(ङ) किसी व्यक्ति द्वारा किसी स्थान पर किसी लिंग चयन तकनीक के उपयोग के विरुद्ध स्वप्रेरणा से या उसकी जानकारी में लाए जाने पर उपयुक्त विधिक कार्रवाई करना और ऐसे मामले में स्वतंत्र रूप से अन्वेषण भी आरंभ करना;
(f)(च) लिंग चयन या प्रसवपूर्व लिंग अवधारणा की प्रथा के विरुद्ध जनसाधारण में जागरुकता पैदा करना;
(g)(छ) अधिनियम और नियमों के उपबंधों के कार्यान्वयन का पर्यवेक्षण करना;
(h)(ज) प्रौद्योगिकी या सामाजिक दशाओं में परिवर्तनों के अनुसार नियमों में अपेक्षित उपांतरणों के संबंध में बोर्ड और राज्य बोर्डों को सिफारिश करना;
(i)(झ) रजिस्ट्रीकरण के निलंबन या रद्दकरण के लिए परिवाद के अन्वेषण के पश्चात सलाहकार समिति द्वारा की गई सिफारिशों पर कार्रवाई करना।)
(५) यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार समुचित प्राधिकारी को उसके कृत्यों के निर्वहन में सहायता और सलाह देने के लिए प्रत्येक समुचित प्राधिकारी के लिए एक सलाहकार समिति गठित करेगी और सलाहकार समिति के सदस्यों में से एक को उसका अध्यक्ष नियुक्त करेगी।
(६) सलाहकार समिति निम्नलिखित से मिलकर बनेगी, अर्थात :
(a)(क) स्त्री रोग विशेषज्ञ, प्रसूति विज्ञानी, बाल चिकित्सा विज्ञानी और चिकित्सा आनुवंशिकीविज्ञों में से तीन आयुर्विज्ञान विशेषज्ञ ;
(b)(ख) एक विधि विशेषज्ञ :
(c)(ग) यथास्थिति, राज्य सरकार या संघ राज्यक्षेत्र के सूचना और प्रचार से संबंधित विभाग का प्रतिनिधित्व करने के लिए अधिकारी;
(d)(घ) तीन विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता जिनमें कम से कम एक महिला संगठनों के प्रतिनिधियों में से होगा।
१.(७) कोई भी व्यक्ति, जो लिंग के अवधारणा लिंग चयन की प्रसवपूर्व निदान-तकनीकों के उपयोग या उन्नयन में सहयुक्त रहा है, सलाहकार समिति का सदस्य नियुक्त नहीं किया जाएगा।)
(८) सलाहकार समिति का अधिवेशन, रजिस्ट्रीकरण के किसी आवेदन पर या रजिस्ट्रीकरण के निलंबन या रद्दकरण के किसी परिवाद पर विचार करने के लिए और उस पर सलाह देने के लिए जब कभी वह उचित समझे या समुचित प्राधिकारी के अनुरोध पर किया जा सकेगा:
परन्तु दो अधिवेशनों के बीच की अवधि विहित अवधि से अधिक नहीं होगी।
(९) वे निबन्ध और शर्ते जिनके अधीन रहते हुए कोई व्यक्ति सलाहकार समिति में नियुक्त किया जा सकेगा और ऐसी समिति द्वारा अपने कृत्यों के निर्वहन में अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया वह होगी, जो विहित की जाए।
———–
१. २००३ के अधिनियम सं०१४ की धारा १५ द्वारा प्रतिस्थापित ।

Exit mobile version