१.(गर्भधारण पूर्व और प्रसवपूर्व निदान-तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध)) अधिनियम, १९९४
अध्याय १ :
प्रारंभिक :
धारा १ :
संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ :
(१९९४ का अधिनियम संख्यांक ५७)
२.(गर्भधारण से पूर्व या उसके पश्चात लिंग चयन के प्रतिषेध का और आनुवंशिकी अप्रसामान्यताओं या मेटाबोली विकारों या गुणसूत्री अप्रसामान्यताओं या कतिपय जन्मजात विकृतियों या लिंग-सहलग्न विकारों का पता लगाने के प्रयोजनों के लिए प्रसवपूर्व निदान तकनीकों के विनियमन का तथा लिंग अवधारणा के लिए ऐसी तकनीकों के, जिनके कारण स्त्री-लिंगी भूणवध हो सकता हो, दुरुपयोग के निवारण का तथा उनसे संबंधित या उनके आनुषंगिक विषयों का उपबंध करने के लिए अधिनियम)
भारत गणराज्य के पैंतालीसवें वर्ष में संसद् द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो :
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(१) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम १.(गर्भधारण पूर्व और प्रसवपूर्व निदान-तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध)) अधिनियम, १९९४ है।
(२) इसका विस्तार ३.(***) सम्पूर्ण भारत पर है।
(३) यह उस ४.(तारीख) को प्रवृत्त होगा जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे।
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१. २००३ के अधिनियम सं० १४ की धारा ३ द्वारा प्रतिस्थापित ।
२. २००३ के अधिनियम सं० १४ की धारा २ द्वारा प्रतिस्थापित।
३. २०१९ के अधिनियम सं० ३४ की धारा ९५ और अनुसूची ५ द्वारा जम्मू-कश्मीर राज्य के सिवाय शब्दों का लोप किया गया ।
४. १ जनवरी १९९६, अधिसूचना संख्या का. आ. ९९०, दिनांक २१ दिसंबर १९९५, भारत का राजपत्र, असाधारण भाग – २, धारा ३ (२) देखें ।