बालविवाह प्रतिषेध अधिनियम २००६
धारा २ :
परिभाषाएं :
इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, –
(a)क)बालक से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसने, यदि पुरूष है तो, इक्कीस वर्ष की आयु पूरी नहीं की है और यदि नारी है तो, अठारह वर्ष की आयु पूरी नहीं की है ;
(b)ख) बाल-विवाह से ऐसा विवाह अभिप्रेत है जिसके बंधन में आने वाले दोनों पक्षकारों में से कोई बालक है ;
(c)ग) विवाह के संबंध में बंधन में आने वाले पक्षकार से पक्षकारों में से कोई भी ऐसा पक्षकार अभिप्रेत है जिसका विवाह उसके द्वारा अनुष्ठापित किया जाता है या किया जाने वाला है;
(d)घ)बाल-विवाह प्रतिषेध अधिकारी के अन्तर्गत धारा १६ की उपधारा (१) के अधीन नियुक्त बाल-विवाह प्रतिषेध अधिकारी भी है;
(e)ड)जिला न्यायालय से अभिप्रेत है ऐसे क्षेत्र में, जहां कुटुंब न्यायालय अधिनियम, १९८४ (१९८४ का ६६) की धारा ३ के अधीन स्थापित कुटुंब न्यायालय विद्यमान है, ऐसा कुटुंब न्यायालय और किसी ऐसे क्षेत्र में जहां कुटुंब न्यायालय नहीं है, किंतु कोई नगर सिविल न्यायालय विद्यमान है वहां वह न्यायालय और किसी अन्य क्षेत्र में, आरंभिक अधिकारिता रखने वाला प्रधान सिविल न्यायालय और उसके अंतर्गत ऐसा कोई अन्य सिविल न्यायालय भी है जिसे राज्य सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा,ऐसे न्यायालय के रूप में विनिर्दिष्ट करे जिसे ऐसे मामलों के संबंध में अधिकारिता है, जिनके बारे में इस अधिनियम के अधीन कार्रवाई की जाती है;
(f)च) अवयस्क से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसके बारे में वयस्कता अधिनियम, १८७५ (१८७५ का ९) के उपबंधों के अधीन यह माना जाता है कि उसने, वयस्कता प्राप्त नहीं की है ।