बालविवाह प्रतिषेध अधिनियम २००६
धारा १६ :
बालविवाह प्रतिषेध अधिकारी :
१) राज्य सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, संपूर्ण राज्य या उसके ऐसे भाग के लिए, जो उस अधिसूचना में विनिर्दिष्ट किया जाए, बाल-विवाह प्रतिषेध अधिकारी के नाम से ज्ञात, किसी अधिकारी या अधिकारियों की नियुक्ति करेगी, जिसकी अधिकारिता, अधिसूचना में विनिर्दिष्ट क्षेत्र या क्षेत्रों पर होगी ।
२) राज्य सरकार, समाज सेवा में विख्यात किसी स्थानीय सम्मानीय सदस्य या ग्राम पंचायत या नगरपालिका के किसी अधिकारी से या सरकार के अथवा किसी पब्लिक सेक्टर के उपक्रम के किसी अधिकारी से या किसी गैर- सरकारी संगठन के किसी पदाधिकारी से बाल-विवाह प्रतिषेध अधिकारी की सहायता करने के लिए अनुरोध कर सकेगी और, यथास्थिति, ऐसा सदस्य, अधिकारी या पदाधिकारी तद्नुसार कार्रवाई करने के लिए बाध्य होगा ।
३)बाल-विवाह प्रतिषेध अधिकारी का यह कर्तव्य होगा कि वह –
(a)क)बाल-विवाहों के अनुष्ठापन का ऐसी कार्रवाई करके, जो वह उचित समझे निवारण करे ;
(b)ख)इस अधिनियम के उपबंधों का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों के प्रभावी अभियोजन के लिए साक्ष्य संग्रह करे ;
(c)ग)बाल-विवाह के अनुष्ठापन का संवर्धन करने, सहायता देने या होने देने में अन्तर्वलित न होने के लिए व्यष्टिक मामलों में सलाह दे या क्षेत्र के निवासियों को साधारणतया परामर्श दे;
(d)घ)बाल-विवाह के परिणामस्वरूप होने वाली बुराई के प्रति जागृति पैदा करे ;
(e)ड)बाल-विवाहों के मुद्दे पर समाज को सुग्राही बनाए;
(f)च)ऐसी नियतकालिक विवरणियां और आंकडे दे, जो राज्य सरकार निर्देशित करे; और
(g)छ)ऐसे अन्य कृत्यों और कर्तव्यों का निर्वहन करे, जो राज्य सरकार द्वारा उसे समनुदेशित किए जाएं ।
४)राज्य सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, ऐसी शर्तों और परिसीमाओं के अधीन रहते हुए, बाल-विवाह प्रतिषेध अधिकारी को किसी पुलिस अधिकारी की ऐसी शक्तियां विनिहित कर सकेगी जो अधिसूचना में विनिर्दिष्ट की जाएं और बाल-विवाह प्रतिषेध अधिकारी ऐसी शक्तियों का, ऐसी शर्तों और परिसीमाओं के अधीन रहते हुए, जो अधिसूचना में विनिर्दिष्ट की जाएं, प्रयोग करेगा ।
५)बाल-विवाह प्रतिषेध अधिकारी को धारा ४, धारा ५ और धारा १३ के अधीन और धारा ३ के अधीन बालक के साथ आदेश के लिए न्यायालय को आवेदन करने की शक्ति होगी ।