बालविवाह प्रतिषेध अधिनियम २००६
धारा १२ :
कतिपय परिस्थितियों में किसी अवयस्क बालक के विवाह का शून्य होना :
जहां कोई बालक, जो अवयस्क है, विवाह के प्रयोजन के लिए,
(a)क)विधिपूर्ण संरक्षक की देखरेख से बाहर लाया जाता है या आने के लिए फुसलाया जाता है ;या
(b)ख)किसी स्थान से जाने के लिए बलपूर्वक बाध्य किया जाता है या किन्हीं प्रवंचनापूर्ण साधनों से उत्प्रेरित किया जाता है; या
(c)ग)विक्रय किया जाता है, और किसी रूप में उसका विवाह कराया जाता है या यदि अवयस्क विवाहित है और उसके पश्चात् उस अवयस्क का विक्रय किया जाता है या दुव्र्यापार किया जाता है या अनैतिक प्रयोजनों के लिए उसका उपयोग किया जाता है,
वहां ऐसा विवाह अकृत और शून्य होगा ।