Pca act 1988 धारा ५ : प्रक्रिया और विशेष न्यायाधीश की शक्तियां :

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम १९८८
धारा ५ :
प्रक्रिया और विशेष न्यायाधीश की शक्तियां :
१) विशेष न्यायाधीश अभियुक्त के विचारणार्थ सुपुर्द किए गए बिना भी अपराधों का संज्ञान कर सकता है, और वह अभियुक्त व्यक्ति के विचारण में दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३(१९७४ का २) में मजिस्ट्रेटों द्वारा वारंट के मामलों के लिए विहित प्रक्रिया का अनुसरण करेगा ।
२) विशेष न्यायाधीश किसी ऐसे व्यक्ति का साक्ष्य प्राप्त करने की दृष्टि से जिसका प्रत्यक्षत: या अप्रत्यक्षत: किसी अपराध से संपृक्त होना या संसर्गी होना अनुमित है, विशेष न्यायाधीश ऐसे व्यक्ति और प्रत्येक अन्य संपृक्त व्यक्ति को, चाहे वह उस अपराध कें किए जाने में मुख्य रहा हो या दुष्प्रेरक रहा हो उसके अपराध से संबंधित अपनी जानकारी की सभी परिस्थितियों का पूर्ण और सत्य प्रकटन करने की शर्त पर क्षमा प्रदान कर सकता है इस प्रकार दी गई क्षमा दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३(१९७४ का २) की धारा ३०८ की उपधारा (१) से (५) के प्रयोजनों के लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा ३०७ के अधीन पदत्त की गई समझी जाएगी ।
३) उपधारा (१) या उपधारा (२) में यथा उपबंधित के सिवाय, दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३(१९७४ का २) के उपबंध जहां तक वे इस अधिनियम से असंगत नहीं है, विशे न्यायाधीश के समक्ष कार्यवाहियों को लागू होंगे, और उक्त उपबंधों के प्रयोजनार्थ, विशेष न्यायाधीश का न्यायालय सेशन न्यायालय समझा जाएगा और विशेष न्यायाधीश के समक्ष अभियोजन का संचालन करने वाला व्यक्ति लोक अभियोजक समझा जाएगा ।
४) विशिष्टतया, और उपधारा (३) में अंतर्विष्ट उपबंधों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३(१९७४ का २) की धार ३२० और धारा ४७५ के उपबंध, जहां तक हो सके, विशेष न्यायाधीश के समक्ष कार्यवाही को लागू होंगे, और उक्त उपबंधों के प्रयोजनार्थ विशेष न्यायाधीश मजिस्ट्रेट समझा जाएगा।
५) विशेष न्यायाधीश उसके द्वारा दोषसिध्द व्यक्ति को कोई भी दंडादेश दे सकता है जो उस अपराध के लिए जिसके लिए ऐसे व्यक्ति दोषसिध्द हैं, विधि द्वारा प्राधिकृत है ।
६) इस अधिनियम के अधीन दंडनीय अपराधों का विचारण करते समय विशेष न्यायाधीश दंड विधि संशोधन अध्यादेश, १९४४(१९४४ का अध्यादेश संख्यांक ३८) के अधीन जिला न्यायाधीश द्वारा प्रयोक्तव्य सभी सिविल शक्तियों और कृत्यों का प्रयोग करेगा ।

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