Pca act 1988 धारा ४ : विशेष न्यायाधीशों द्वारा विचारणीय मामले :

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम १९८८
धारा ४ :
विशेष न्यायाधीशों द्वारा विचारणीय मामले :
१) दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३(१९७४ का २) या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी धारा ३ की उपधारा (१) में विनिर्दिष्ट अपराध विशेष न्यायाधीश द्वारा ही विचारणीय होंगे ।
२) धारा ३ की उपधारा (१) में विनिर्दिष्ट प्रत्येक अपराध उस क्षेत्र के विशेष न्यायाधीश द्वारा जिसमें वह अपराध किया गया है या जहां ऐसे क्षेत्र के लिए एक से अधिक विशेष न्यायाधीश है वहां उनमें से ऐसे न्यायाधीश द्वारा जो इस निमित्त केंद्रीय सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट किया जाएगा उस मामले के लिए नियुक्त किए गए विशेष न्यायाधीशों द्वारा विचारणीय होगा ।
३) किसी मामले का विचारण करते समय विशेष न्यायाधीश धारा ३ में विनिर्दिष्ट किसी अपराध से भिन्न, किसी ऐसे अन्य अपराध का भी विचारण कर सकता है जिससे अभियुक्त दंड प्रक्रिया संहिता १९७३(१९७४ का २) के अधीन, उसी विचारण में आरोपित किया जा सकता है ।
१.(४) दंड प्रक्रिया संहिता १९७३ में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, किसी अपराध के लिए विचारण, यथासाध्य रुप से दैनिक आधार पर किया जाएगा और यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाएगा कि उक्त विचारण दो वर्ष की अवधि के भीतर पूरा कर दिया जाता है :
परंतु जहां विचारण उक्त अवधि के भीतर पूरा नहीं हो पाता है, वहां विशेष न्यायाधीश ऐसा न होने पाने के कारणों को लेखबद्ध करेगा :
परंतु यह और कि उक्त अवधि को, लेखबद्ध किए जाने वाले कारणों से, एक समय में छह मास के अनधिक आगे और अवधि के लिए विस्तारित किया जा सकेगा ; तथापि उक्त अवधि, विस्तारित अवधि सहित सामान्य रुप से कुल मिलाकर चार वर्ष से अधिक नहीं होगी ।)
———-
१. सन २०१८ का अधिनियम क्रमांक १६ की धारा २ द्वारा उपधारा ४ (४) दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३(१९७४ का २) में किसी बात के होते हुए भी विशेष न्यायाधीश, अपराध का विचारण यावत्शक्य, दिन प्रतिदिन के आधारा पर करेगा ।) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।

Leave a Reply