Pca act 1988 धारा २ : परिभाषाएं :

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम १९८८
धारा २ :
परिभाषाएं :
इस अधिनियम, में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, –
(a) क) निर्वाचन से संसद् या किसी विधान- मंडल, स्थानीय प्राधिकरण या अन्य लोक प्राधिकरण के सदस्यों के चयन के प्रयोजन के लिए किसी विधि के अधीन, किसी भी माध्यम से, कराया गया निर्वाचन अभिप्रेत है ;
(aa) १.(कक) विहित से इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियम द्वारा विहित अभिप्रेत है और तदनुसार विहित पद का अर्थ लगाया जाएगा;)
(b) ख) लोक कर्तव्य से अभिप्रेत है वह कर्तव्य, जिसके निर्वहन में राज्य, जनता या समस्त समुदाय का हित है ।
स्पष्टीकरण – इस खंड में राज्य के अंतर्गत किसी केंद्रीय, प्रांतीय या राज्य अधिनियम द्वारा या उसके अधीन स्थापित निगम या सरकार के स्वामित्व या नियंत्रण के अधीन या सरकार से सहायता प्राप्त कोई प्राधिकरण या निकाय या कंपनी अधिनियम, १९५६ ( १९५६ का १) की धारा ६१७ में यथापरिभाषित सरकारी कंपनी भी है :
(c) ग) लोक सेवक से अभिप्रेत है, –
१) कोई व्यक्ति जो सरकार की सेवा या उसके वेतन पर है या किसी लोक कर्तव्य के पालन के लिए सरकार से फीस या कमीशन के रूप में पारिश्रमिक पाता है;
२)कोई व्यक्ति जो किसी लोक प्राधिकरण की सेवा या उसके वेतन पर है ;
३) कोई व्यक्ति जो किसी केंद्रीय, प्रांतीय या राज्य अधिनियम द्वारा या उसके अधीन स्थापित निगम या सरकार के स्वामित्व या नियंत्रण के अधीन या सरकार से सहायता प्राप्त किसी प्राधिकरण या निकाय या कंपनी अधिनियम, १९५६ ( १९५६ का १) की धारा ६१७ में यथापरिभाषित किसी सरकारी कंपनी की सेवा या उसके वेतन पर है;
४) कोई न्यायाधीश, जिसके अंतर्गत ऐसा कोई व्यक्ति है जो किन्हीं न्यायनिर्णयन कृत्यों का, चाहे स्वयं या किसी व्यक्ति के निकाय के सदस्य के रूप में, निर्वहन करने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया है;
५) कोई व्यक्ति जो न्याय प्रशासन के संबंध में किसी कर्तव्य का पालन करने के लिए न्यायालय द्वारा प्राधिकृत किया गया है, जिसके अंतर्गत किसी ऐसे न्यायालय द्वारा नियुक्त किया गया परिसमापक, रिसीवर या आयुक्त भी है;
६) कोई मध्यस्थ या अन्य व्यक्ति जिसको किसी न्यायालय द्वारा या किसी सक्षम लोक प्राधिकरण द्वारा कोई मामला या विषय विनिश्चय या रिपोर्ट के लिए निर्देशित किया गया है;
७) कोई व्यक्ति जो किसी ऐसे पद को धारण करता है जिसके आधार पर वह निर्वाचन सूची तैयार करने, प्रकाशित करने, बनाए रखने या पुनरीक्षित करने अथवा निर्वाचन या निर्वाचन के भाग का संचालन करने के लिए सशक्त है;
८) कोई व्यक्ति जो किसी ऐसे पद को धारण करता है जिसके आधार पर वह किसी लोक कर्तव्य का पालन करने के लिए प्राधिकृत या अपेक्षित है;
९) कोई व्यक्ति जो कृषि, उद्योग, व्यापार या बैंककारी में लगी हुई किसी ऐसी रजिस्ट्रीकृत सोसाइटी का अध्यक्ष, सचिव या अन्य पदधारी है जो केंद्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार या किसी केंद्रीय, प्रांतीय या राज्य अधिनियम द्वारा या उसके अधीन स्थापित किसी निगम से या सरकार के स्वामित्व या नियंत्रण के अधीन या सरकार से सहायता प्राप्त किसी प्राधिकरण या निकाय से या कंपनी अधिनियम, १९५६ ( १९५६ का १) की धारा ६१७ में यथापरिभाषित किसी सरकारी कंपनी से कोई वित्तीय सहायता प्राप्त कर रही है या कर चुकी है;
१०) कोई व्यक्ति जो किसी सेवा आयोग या बोर्ड का, चाहे वह किसी भी नाम से ज्ञात हो, अध्यक्ष, सदस्य या कर्मचारी या ऐसे आयोग या बोर्ड की ओर से किसी परीक्षा का संचालन करने के लिए या उसके द्वारा चयन करने के लिए नियुक्त की गई किसी चयन समिति का सदस्य है;
११) कोई व्यक्ति जो किसी विश्वविद्यालय का कुलपति, उसके किसी शासी निकाय का सदस्य, आचार्य, उपाचार्य, प्राध्यापक या कोई अन्य शिक्षक या कर्मचारी है, चाहे वह किसी भी पदाभिधान से ज्ञात हो, और कोई व्यक्ति जिसकी सेवाओं का लाभ विश्वविद्यालय द्वारा या किसी अन्य लोक निकाय द्वारा परीक्षाओं के आयोजन या संचालन के संबंध में लिया गया है;
१२) कोई व्यक्ति जो किसी भी रीति में स्थापित किसी शैक्षिक, वैज्ञानिक, सामाजिक, सांस्कृतिक या अन्य संस्था का, जो केंद्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार या किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकरण से वित्तीय सहायता प्राप्त कर रही है या कर चुकी है, पदधारी या कर्मचारी है।
(d) १.(घ) असम्यक लाभ से ऐसा कोई पारितोषण अभिप्रत है, चाहे जैसा भी हो, जो विधिक पारिश्रमिक से भिन्न हो ।
स्पष्टीकरण :
इस खंड के प्रयोजनों के लिए,-
(a) क) पारितोषण शब्द धनीय पारितोषणों या धन के रुप में प्राक्कलनीय पारितोषणों तक सीमित नहीं है;
(b) ख) विधिक पारिश्रमिक पद किसी लोक सेवक को संदत्त परिश्रमिक तक निर्बन्धित नहीं है, किन्तु इसके अतंर्गत ऐसे सभी पारिश्रमिक भी है, जिसका सरकार या संगठन द्वारा, जिसकी वह सेवा करता है, प्राप्त करने के लिए अनुज्ञात है ।)
स्पष्टीकरण १ :
उपर्युक्त उपखंडों में से किसी के अंतर्गत आने वाले व्यक्ति लोक सेवक हैं चाहे वे सरकार द्वारा नियुक्त किए गए हों या नहीं ।
स्पष्टीकरण २ :
लोक सेवक शब्द जहां भी आए हैं, वे उस हर व्यक्ति के संबंध में समझ जाएंगे जो लोक सेवक के ओहदे को वास्तव में धारण किए हों, चाहे उस ओहदे को धारण करने के उसके अधिकार में कैसी ही विधिक त्रुटि हो ।
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१. सन २०१८ का अधिनियम क्रमांक १६ की धारा २ द्वारा अंत:स्थापित ।

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